Up kiran,Digital Desk : अयोध्या में 'प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह' के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भावपूर्ण संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि अयोध्या वही पवित्र भूमि है, जिसने वर्षों तक असहनीय प्रतीक्षा और पीड़ा सहकर भी आस्था को डगमगने नहीं दिया।
“आज जब प्रभु श्रीराम के आगमन के दो वर्ष पूरे हो रहे हैं, हम उस सदियों की प्रतीक्षा के पूर्ण होने का उत्सव मना रहे हैं।” – राजनाथ सिंह
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दो वर्ष पूर्व पौष शुक्ल द्वादशी को हुई प्राण प्रतिष्ठा केवल मूर्ति की नहीं थी, बल्कि यह भारत के जनमानस में पुनः आध्यात्मिक प्राण प्रतिष्ठा थी।
प्रधानमंत्री के अनुसार, रामलला मंदिर की स्थापत्य और भावना आने वाले हजार वर्षों के लिए देश की नींव रख रही है।
राम मंदिर न केवल अयोध्या, बल्कि सम्पूर्ण भारत और विश्व के भक्तों के लिए गौरव का प्रतीक बन चुका है।
ऐतिहासिक संघर्ष और विजय
राजनाथ सिंह ने रामायण और श्रीरामचरितमानस के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि धर्म की स्थापना के प्रयासों में हमेशा आसुरी शक्तियां आईं और बाधाएं डाली गईं।
अयोध्या की रथयात्रा और रामकाज में संतों, महंतों और कारसेवकों पर गोलियां चलीं, लाठियां बरसीं और रास्ते रोके गए, लेकिन आस्था और संकल्प अडिग रहे।
उन्होंने कहा कि समय सबका न्याय करता है। जिन्होंने रामकाज में बाधा डाली, उनकी स्थिति आज स्पष्ट है, वहीं जिन्होंने रामराज्य और अयोध्या के विकास का साथ दिया, वे आज राष्ट्र सेवा में लगे हुए हैं।
समापन संदेश
राजनाथ सिंह ने समारोह में यह भी कहा कि रामलला की कृपा और अयोध्या का आशीर्वाद देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आज का दिन न केवल अयोध्या बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए गौरव और आध्यात्मिक उत्सव का प्रतीक है।
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