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राजस्थान में चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहे हैं वैसे वैसे ही प्रदेश की सियासी सरगर्मी बढती जा रही है। 2018 के बाद एक बार फिर लड़ाई युवा vs दिग्गज की मानी जा रही है। कांग्रेस ने 50 50 का फॉर्मूला बनाया जरूर था मगर ये पार्टी कब से अपनाया जाएगा इस पर संशय बरकरार है। बीजेपी में भी राजनीति से रिटायरमेंट को लेकर कई बार बहस हो चुकी है।

यहां तक की बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके सतीश पुनिया ने तो एक बार खुले मंच से ही राजनीति के चुनाव से रिटायरमेंट की उम्र के बारे में जिक्र कर दिया था। उन्होंने कहा कि राजनीति के लोगों की भी सेवानिवृत्ति की आयु होनी चाहिए।

कांग्रेस व बीजेपी में कई ऐसे नेता हैं जो 70 की उम्र क्या कई नेता तो 90 पहुँचने वाले हैं। फिर भी कहा जा रहा है कि वो इस बार विधान सभा चुनाव में अपनी दावेदारी ठोकने को बेताब हैं। कई नेता तो ऐसे भी हैं जो टिकट कटने की संभावना पर अपने परिवार में से ही किसी सदस्य को लेकर टिकिट की मांग या फिर उम्मीद लगाये बैठे हैं।

कांग्रेस के विधायक गहलोत सरकार में मंत्री हेमाराम चौधरी के इस बार चुनाव लड़ने पर संशय है। हेमाराम चौधरी सचिन पायलट के समर्थक विधायकों में से एक हैं और वो भी पायलट की बगावत के वक्त उनके साथ मानेसर जा चुके थे और मंत्री हेमाराम चौधरी के चुनाव लड़ने और नहीं लड़ने में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस बीच कहा जा रहा है कि सत्ता रिपीट के सपने को पूरा करने के लिए कांग्रेस गुड़ामालानी पर एक जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में है। संभावना जताई जा रही है कि इस सीट से हेमाराम चौधरी की बेटी को भी टिकट दिया जा सकता है। 

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