img

Up Kiran, Digital Desk: भारत की ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली में 1 मई 2025 से एक ऐतिहासिक बदलाव हो गया है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद ‘वन स्टेट, वन आरआरबी’ नीति को देशभर के 11 राज्यों में लागू कर दिया गया है। इसके तहत 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) का एकीकरण कर उन्हें एकल इकाइयों में बदला गया है, जिससे देश में RRBs की कुल संख्या 43 से घटकर 28 रह गई है।

यह एकीकरण क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के चौथे चरण का हिस्सा है, और इसका उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को एकीकृत, पारदर्शी और अधिक प्रभावी बनाना है।

क्या है ‘वन स्टेट, वन आरआरबी’ नीति और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

'वन स्टेट, वन RRB' नीति का सीधा मतलब है—प्रत्येक राज्य में केवल एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का संचालन। इससे प्रशासनिक लागत घटेगी, प्रक्रियाएं सरल होंगी, और ग्रामीण क्षेत्रों में समान गुणवत्ता वाली बैंकिंग सेवा उपलब्ध कराना आसान होगा।

अब तक एक राज्य में दो या तीन RRB काम करते थे, जिससे डुप्लिकेशन और असंगति की स्थिति बनती थी। लेकिन अब पूरे राज्य में सिर्फ एक RRB के ज़रिए केंद्रित और कुशल संचालन हो सकेगा।

 किन राज्यों में हुआ है मर्जर? जानिए राज्यवार अपडेट

उत्तर प्रदेश

मर्ज हुए बैंक: बड़ौदा यू.पी. बैंक, आर्यावर्त बैंक, प्रथमा यू.पी. ग्रामीण बैंक

नया नाम: उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक

मुख्यालय: लखनऊ

प्रायोजक बैंक: बैंक ऑफ बड़ौदा

पश्चिम बंगाल   बंगीय ग्रामीण विकास बैंक, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तरबंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का एकीकरणनया नाम: पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक

बिहार  दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का विलयनया नाम: बिहार ग्रामीण बैंकमुख्यालय: पटना

आंध्र प्रदेश  चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक ,नया नाम: आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक

गुजरात  बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक + सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक

नया नाम:

 गुजरात ग्रामीण बैंकअन्य राज्य जहां दो-दो बैंकों का मर्जर हुआ: ,जम्मू-कश्मीर

कर्नाटक

मध्य प्रदेश

महाराष्ट्र

ओडिशा

राजस्थान

इन सभी राज्यों में मौजूद दो-दो RRBs को मिलाकर एक सिंगल बैंकिंग यूनिट में तब्दील किया गया है।

 कानूनी आधार और प्रायोजक बैंकों की भूमिका

इस मर्जर प्रक्रिया को RRB अधिनियम 1976 की धारा 23A(1) के अंतर्गत अंजाम दिया गया है। प्रत्येक नए RRB को एक प्रायोजक बैंक द्वारा समर्थित किया जाएगा, जैसे:

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया

केनरा बैंक

इंडियन बैंक

भारतीय स्टेट बैंक (SBI)

बैंक ऑफ बड़ौदा

इन प्रायोजक बैंकों का काम होगा:

वित्तीय सहायता प्रदान करना

प्रशासनिक निगरानी

तकनीकी सहयोग

संचालन में स्थिरता बनाए रखना

 नई इकाइयों की पूंजी संरचना: हर बैंक को 2000 करोड़ की अधिकृत पूंजीवित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, एकीकृत आरआरबी को 2000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी दी गई है। इसका मकसद नए बैंकों को संरचनात्मक रूप से मजबूत और भविष्य के लिए तैयार बनाना है।

यह पूंजी नए RRB को:

कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड करने

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने
में मदद करेगी।

--Advertisement--