Up kiran,Digital Desk : अमेरिका से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक विजिटिंग प्रोफेसर को सिर्फ इसलिए देश छोड़ना पड़ा क्योंकि उन्होंने अपने घर के पास चूहों को मारने के लिए पिस्तौल चला दी थी। ब्राजील के रहने वाले प्रोफेसर कार्लोस पुर्तगाल गुवेआ की यह हरकत एक यहूदी प्रार्थना स्थल (सिनेगॉग) के पास हुई और वह भी यहूदी समुदाय के पवित्र दिन 'योम किप्पुर' पर, जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया।
हालांकि, प्रोफेसर का कहना था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उनका मकसद सिर्फ चूहों से छुटकारा पाना था। लेकिन अमेरिकी सरकार ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया और इसे 'यहूदी-विरोधी कृत्य' मानते हुए उनका वीजा रद्द कर दिया।
पुलिस ने कहा 'यहूदी-विरोध नहीं', फिर भी सरकार ने लिया कड़ा एक्शन
इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि शुरुआत में पुलिस और पास में मौजूद सिनेगॉग ने भी यह माना था कि इसमें यहूदी-विरोधी भावना का कोई संकेत नहीं है। प्रोफेसर गुवेआ को यह भी नहीं पता था कि वह एक सिनेगॉग के पास हैं या उस दिन कोई खास धार्मिक त्योहार है।
लेकिन इसके बावजूद, अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने कड़ा रुख अपनाया। विभाग की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अमेरिका में काम करना और पढ़ाई करना एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं। ऐसे हिंसक यहूदी-विरोधी कृत्यों के लिए देश में कोई जगह नहीं है।"
क्या हुआ था उस रात?
यह घटना 1 अक्टूबर की रात करीब 9 बजे हुई थी। योम किप्पुर के कारण सिनेगॉग में प्रार्थना चल रही थी, तभी सुरक्षा गार्डों ने दो तेज आवाजें सुनीं। उन्होंने देखा कि प्रोफेसर गुवेआ एक पेड़ के पीछे हाथ में बंदूक लिए खड़े हैं। पुलिस के आने पर प्रोफेसर और एक अधिकारी के बीच हल्की झड़प भी हुई, जिसके बाद उन्हें काबू में किया गया।
शुरुआत में उन पर कई आरोप लगे, लेकिन बाद में ज्यादातर हटा दिए गए और केवल पिस्तौल का गैरकानूनी इस्तेमाल का आरोप बाकी रहा। 16 अक्टूबर को उनका वीजा रद्द कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें देश छोड़ने का विकल्प दिया गया। उनके वकील के मुताबिक, वह गुरुवार को वापस ब्राजील पहुंच गए।
प्रोफेसर गुवेआ हार्वर्ड लॉ स्कूल में विजिटिंग प्रोफेसर थे और 'भ्रष्टाचार' और 'सतत पूंजीवाद' जैसे गंभीर विषयों पर कोर्स पढ़ा रहे थे। उनके अपने विश्वविद्यालय (साओ पाउलो विश्वविद्यालय) ने उनका बचाव करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ लगाए जा रहे आरोप भ्रामक हैं।

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