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Up Kiran, Digital Desk: 10 मई की शाम को जब भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक सीजफायर की घोषणा हुई तो हर कोई हैरान रह गया। ऑपरेशन सिंदूर अपनी चरम सीमा पर था और हर ओर से खबरें आ रही थीं कि भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त प्रहार किया है। ऐसे समय पर शांति का ऐलान। सवाल उठना लाज़मी था क्या भारत पीछे हट रहा है या कोई बड़ी रणनीति खेली जा रही है।
करीब 20 दिन बाद इस रहस्य से पर्दा उठा। सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने वह खुलासा किया जिसने पूरे घटनाक्रम को एक नई रोशनी में ला खड़ा किया।
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने दिखाया दम
6-7 मई की आधी रात के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। यह प्रतिक्रिया थी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिसमें 26 मासूम लोगों की जान गई थी। भारत ने इस बार सिर्फ जवाब नहीं दिया बल्कि ऐसा झटका दिया कि पाकिस्तान और पीओके के भीतर खौफ फैल गया।
पाकिस्तान की बौखलाहट और जवाबी हमले
पाकिस्तान ने भी 7 से 10 मई के बीच एलओसी पर गोलीबारी की जिसमें 15 भारतीय नागरिक और एक जवान शहीद हुआ। मगर 10 मई की सुबह भारत ने आखिरी वार किया ब्रह्मोस मिसाइलों से पाकिस्तान के नूर खान-चकलाला एयरबेस पर हमला जो रावलपिंडी में स्थित है।
इस हमले के बाद पाकिस्तान के लिए पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। उन्होंने सीजफायर की गुहार लगाई और भारत ने इसे स्वीकार कर लिया।
जनरल चौहान ने बताया क्यों रोकना पड़ा ऑपरेशन
जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत ने यह फैसला जल्दबाजी में नहीं बल्कि एक पूर्व-निर्धारित रणनीति के तहत लिया। उन्होंने बताया कि हमने ऑपरेशन सिंदूर के तीन दिन में अपने सारे लक्ष्य हासिल कर लिए थे। अब सैन्य कार्रवाई रोकना ही सबसे समझदारी भरा कदम था। ये वक्तव्य बताता है कि भारत न सिर्फ ताकत से काम ले रहा है बल्कि रणनीति और वक्त की सटीक गणना के आधार पर हर कदम उठा रहा है।
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