Up Kiran, Digital Desk: बिहार की 243 सीटों में जन सुराज ने 238 पर उम्मीदवार उतारे। 16.74 लाख वोट। 3.34 प्रतिशत वोट शेयर। फिर भी एक भी सीट नहीं जीती। दो की जमानत बची। बाकी सारी जब्त। मढ़ौरा में दूसरा स्थान मिला। 129 सीटों पर तीसरा। 73 पर चौथे। 23 पर पांचवाड़ी।
प्रशांत किशोर ने हार के बाद पहली बार मीडिया के सामने बोला। सीधे-सीधे कहा। वोट कम मिले तो कोई गुनाह थोड़े नहीं किया। मैंने किसी की जाति-धर्म का जहर नहीं फैलाया। मैं कहीं नहीं जा रहा। बिहार में डटकर काम करूंगा।
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को 25 से ज्यादा सीटें मिली तो राजनीति छोड़ दूंगा। पहले यही कहा था। अब पीके ने पलटकर सरकार पर तगड़ा हमला बोला। सरकार ने खुलकर पैसे बरसे बरसे वोट खरीद लिए।
प्रशांत किशोर ने एक-एक आंकड़ा रख दिया। डेढ़ करोड़ महिलाओं को 10 हजार रुपये। प्रति सीट 60-62 हजार महिलाओं को 10 हजार रुपये। आंगनवाड़ी सेविका-आशा वर्कर को 10 हजार करोड़ अलग से। विकास मिट्र को 25 हजार। टोला सेवकों को 25 हजार। प्रवासी मजदूरों को कपड़ों के नाम पर 5000। कुल 29 हजार करोड़ रुपये बांटे गए।
चुनौनी चैलेंज भी ठोंक दिया। अगर सरकार ने उन डेढ़ करोड़ महिलाओं को छह महीने बाद सीएम महिला रोजगार योजना के तहत 2-2 लाख रुपये दे दिए। तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।
और सबसे हैरान करने वाली बात। जन सुराज ने 35 सीटों पर इतने वोट ले लिए जो जीत-हार के अंतर से ज्यादा थे। यानी अगर जन सुराज नहीं लड़ती तो शायद नतीजे कुछ और भी हो सकते थे।
इन 35 में 19 सीटें ऐसी थीं जहाँ एनडीए कम मार्जिन से जीता। 14 सीटें महागठबंधन की। जदयू की 10। बीजेपी की 5। लोजपा रामविलास की 3। रालोसपा की 1। आरजेडी की 9। कांग्रेस की 2। वाम दलों की 3। और AIMIM की 1। बसपा की 1।
एक नई पार्टी। पहला चुनाव। एनडीए की प्रचंड लहर। फिर भी 16.74 लाख लोग। 3.34 प्रतिशत वोट। यह कोई छोटी बात नहीं।
प्रशांत किशोर ने साफ कह दिया है। वो मैदान में डटे रहेंगे। बिहार की राजनीति में अब जन सुराज का वोट बैंक बन चुका है। अगले पांच साल में ये बैंक कितना बड़ा होता है। ये देखना दिलचस्प होगा।

_1035252646_100x75.jpg)
_966591976_100x75.jpg)
_744697955_100x75.jpg)
_1500699965_100x75.jpg)