
Up Kiran, Digital Desk: एक बड़े घटनाक्रम में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को दोहराया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता को समाप्त करने के लिए संघर्ष विराम (Ceasefire) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव, करोलिन लेविट (Karoline Leavitt), ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत और पाकिस्तान सहित कई देशों के बीच शांति समझौते (Peace Deal) के पीछे थे, और इसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) दिया जाना चाहिए. यह दावा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों (International Relations) और कूटनीति (Diplomacy) में अमेरिका की भूमिका को उजागर करता है, हालांकि इसकी पुष्टि अन्य संबंधित पक्षों द्वारा नहीं की गई है.
लेविट ने कहा, "राष्ट्रपति ने अब थाईलैंड और कंबोडिया, इजराइल और ईरान, रवांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, भारत और पाकिस्तान, सर्बिया और कोसोवो, और मिस्र और इथियोपिया के बीच संघर्षों को समाप्त कर दिया है. इसका मतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने छह महीने के कार्यकाल में औसतन प्रति माह एक शांति समझौता या संघर्ष विराम कराया है. राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का समय आ गया है." यह बयान ट्रंप के शासनकाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने का प्रयास है, खासकर संघर्ष समाधान (Conflict Resolution) के क्षेत्र में.
थाईलैंड-कंबोडिया (Thailand-Cambodia) संघर्ष के बारे में विशेष रूप से बात करते हुए, लेविट ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच एक बिना शर्त युद्धविराम (Unconditional Ceasefire) सुनिश्चित किया और एक बड़े मानवीय संकट (Humanitarian Crisis) को टाल दिया, यह भी जोड़ा कि ट्रंप के हस्तक्षेप तक 300,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे.
उन्होंने कहा, "शांति के मोर्चे पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम लाने में मदद की. दोनों देश एक घातक संघर्ष में लगे हुए थे, जिसने 300,000 से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया था जब तक कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया."
ट्रंप का हैरान करने वाला दावा: व्यापार सौदों की धमकी देकर कराया समझौता?
ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि अमेरिका ने पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के खिलाफ नई दिल्ली के ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच शांति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने व्यापार सौदे (Trade Deal) को लेकर दोनों राष्ट्रों को धमकी दी, जिसने उन्हें संघर्ष विराम करने के लिए मजबूर किया. यह दावा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दबाव (International Trade Pressure) और कूटनीतिक हथकंडों के इस्तेमाल की ओर इशारा करता है.
भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि संघर्ष विराम तब लागू हुआ जब पाकिस्तानी डीजीएमओ ने अपने भारतीय समकक्ष से शांति प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए संपर्क किया. भारत ने कहा कि इस प्रक्रिया में कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था. भारतीय विदेश मंत्रालय (Indian Ministry of External Affairs) ने इस बात पर जोर दिया है कि यह एक द्विपक्षीय मामला था जिसमें कोई बाहरी मध्यस्थता (External Mediation) नहीं थी, जिससे ट्रंप के दावों पर सवाल उठते हैं.
भारत में भूचाल! विपक्ष ने पीएम मोदी से मांगा जवाब, संसद में हंगामा - '25% टैरिफ' का मुद्दा भी गरमाया!
इस बीच, भारतीय संसद (Indian Parliament) में विपक्ष ने मॉनसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब की मांग करते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया है. विपक्ष ने अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ (Tariffs on India) और दंड लगाने के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया है. यह दर्शाता है कि ट्रंप के बयानों और अमेरिकी व्यापार नीतियों का भारत की घरेलू राजनीति (Domestic Politics) पर भी सीधा असर पड़ रहा है, और यह भारत-अमेरिका संबंध (India-US Relations) एक संवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं. विपक्ष इन मुद्दों को सरकार को घेरने और राष्ट्रीय हित (National Interest) की रक्षा के लिए इस्तेमाल कर रहा है
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