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अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष यानि IMF और पाकिस्तान के मध्य स्टाफ स्तर की मीटिंग किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। इसके बाद अब बेचारा पाकिस्तान एक बार फिर IMF को रिझाने में लगा है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष को खुश करने के लिए, पाकिस्तान कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) ने औसत बिजली शुल्क पर पीकेआर 3.39 प्रति यूनिट का विशेष वित्तपोषण अधिभार लगाने की अनुमति दे दी है। किसानों के लिए सब्सिडी भी खत्म कर दी गई है।

बैठक के पश्चात जारी एक बयान में कहा गया, "वित्त मंत्री इशाक डार ने ईसीसी की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें आईएमएफ की डिमांड को पूरा करने के लिए राजकोषीय उपायों की जांच की।" जिसमें 12 माह के लिए 3.21 पाकिस्तानी रुपए प्रति यूनिट तक के त्रैमासिक टैरिफ समायोजन के करीबन 3 माह के लिए 4 पाकिस्तानी रुपए प्रति यूनिट तक के लंबित ईंधन लागत समायोजन की वसूली शामिल है।

10 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष के साथ चर्चा के बाद भी पाकिस्तान उसकी शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। तत्पश्चात ऋण की मंजूरी नहीं दी गई। अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष की टीम बिना डील पर हस्ताक्षर किए ही वापस लौट गई। ये बैठक उनकी कुछ शर्तों की समीक्षा से जुड़ी थी।
 

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