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Up Kiran, Digital Desk: इंडिया-पाकिस्तान एशिया कप फाइनल में तिलक वर्मा की अपराजेय पारी ने उन्हें रातों-रात सितारा बना दी। रविवार (28 सितंबर) को उन्होंने आखिरी ओवर में नाबाद 69 रन (53 गेंदों में) की आतिशी पारी खेली, जिसमें तीन चौके और चार छक्के शामिल थे। इस नाटकीय जीत ने दुबई के स्टेडियम को उड़ा दिया।
सोमवार (29 सितंबर) को हैदराबाद लौटे तिलक का स्वागत उनके प्रशंसकों ने बेहद ज़ोर-शोर से किया। आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कप्तान सूर्यकुमार यादव की बातों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत- पाकिस्तान अब “प्रतिद्वंद्विता” नहीं रही और इस समय पाकिस्तान का मुकाबला भारत से नहीं हो सकता।
“रवाज बदला पाकिस्तान ने, मन नहीं” — तिलक की बात
तिलक ने माना कि कप्तान सूर्य की तरह वह भी मानते हैं कि अब भारत बनाम पाकिस्तान मात्र एक मुकाबला नहीं रहा। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि फाइनल में 147 रनों की पारी चेज करते समय उन पर दबाव था।
“मुझे बल्लेबाज़ी के लिए उतरते ही दबाव महसूस हुआ। मन में बहुत कुछ चल रहा था। लेकिन मैं केवल देश के लिए सोचा — 140 करोड़ भारतवासियों के लिए जीत चाही।”
— तिलक वर्मा
उन्होंने यह भी कहा कि हर विपक्षी टीम खास रणनीति लेकर आती है और पाकिस्तान ने हर मैच में बैटर के लिए अलग‑अलग तरीकों से दबाव बनाने की कोशिश की।
पाकिस्तान खिलाड़ियों ने की सिद्दत से सज़ा देने की कोशिश
जब भारत का स्कोर 10/2 से चला 20/3 तक गया, तब मुकाबले का दबाव चरम पर था। तिलक ने खुलासा किया कि ऐसे वक्त में विरोधी खिलाड़ियों ने उन्हें निशाना बनाया।
“पाकिस्तान खिलाड़ियों ने मुझे स्टंट करने की कोशिश की। मुझे उकसाया गया। लेकिन मैंने जल्दबाज़ी में कोई शॉट नहीं मारी। शांत रहने की कोशिश की और केवल बुनियादी चीजों पर ध्यान दिया।”
— तिलक वर्मा
उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहेंगे कि मैच के दौरान वह किसी विवाद में फँसें। उन्होंने तय किया कि अगर रिएक्शन देना है, तो वो बाद में देंगे।