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Up Kiran , Digital Desk: चारधाम यात्रा आस्था, श्रद्धा और आत्मिक शांति की प्रतीक मानी जाती है। पर बीते कुछ वर्षों में इस पवित्र यात्रा पर एक और नई चीज़ तेजी से जुड़ी है — हेलिकॉप्टर सेवा। सुविधा के नाम पर शुरू हुई ये सेवा अब खतरनाक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। सिर्फ 10 दिनों में तीन बड़े हेलिकॉप्टर हादसे… और छह ज़िंदगियाँ। सवाल ये उठता है — चारधाम की कठिन यात्रा को आसान करने की कोशिश कहीं जानलेवा तो नहीं बनती जा रही।

हादसे जिनका जवाब अभी बाकी है

8 मई 2025, उत्तरकाशी के गंगनानी के पास एक चार्टर्ड हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। सात सीटों वाले इस हेलिकॉप्टर में पायलट रोबिन समेत छह लोगों की मौत हो गई।

12 मई, बदरीनाथ हेलिपैड पर थंबी एविएशन का हेलिकॉप्टर रनवे पर फिसल गया। किस्मत अच्छी थी कि वह उड़ान भरने से पहले ही रुक गया, वरना परिणाम भयावह हो सकते थे।

17 मई, केदारनाथ में हेली एंबुलेंस को टेल रोटर टूटने के कारण इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। तीनों यात्री सुरक्षित तो रहे, लेकिन हादसा फिर भी चौंकाने वाला था।

सिर्फ तकनीकी नहीं, सिस्टम की लापरवाही भी है जिम्मेदार

हेलिकॉप्टर ऑपरेशन की एक खास बात होती है — यह सामान्य विमानों की तरह तय रूट और सुरक्षित रनवे पर नहीं चलता। विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में जहां हर पल मौसम बदलता है, ऊंची-नीची घाटियां हैं और घना जंगल फैला है, वहां हेलिकॉप्टर उड़ानों के लिए विशेष सतर्कता और तकनीकी व्यवस्थाएं चाहिए।

लेकिन दुखद सच ये है कि न तो एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम मजबूत है, न ही हेलिपैड्स की गुणवत्ता और सुरक्षा जांच। उड़ानों की अनुमति देने से लेकर रूट फाइनल करने तक सब कुछ एक तरह से "आस्था के दबाव" में किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की राय

स्थानीय गाइड, तीर्थ पुरोहित और चारधाम यात्रा प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि हेलिकॉप्टर सेवाएं बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन जिस तरह से इनकी संख्या बढ़ी है और बिना पुख्ता व्यवस्था के उड़ानें हो रही हैं, वो विनाश का कारण बन सकती हैं।

पुराना रिकॉर्ड भी देता है चेतावनी

याद कीजिए 24 मई 2024 का वह हादसा, जब फाटा से केदारनाथ जा रहे एक हेलिकॉप्टर ने इमरजेंसी लैंडिंग की थी। अगर पायलट की सूझबूझ न होती, तो तमिलनाडु के छह यात्रियों की जान उस दिन चली जाती। इससे पहले भी 2021 और 2022 में हेलिकॉप्टर हादसे हो चुके हैं। लेकिन हर बार जांच और जवाबदेही के नाम पर फाइलें बंद हो जाती हैं।

सिस्टम फेल है या आंखें मूंद ली गई

इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सिर पर खड़ा होता है। जब हेलिकॉप्टर सेवाओं का दायरा इतना बढ़ रहा है, तो क्या उच्च तकनीकी जांच वाली एविएशन सेफ्टी यूनिट्स तैनात की गई हैं। क्या सभी हेलिकॉप्टर कंपनियों का अनिवार्य प्रशिक्षण और लाइसेंस सत्यापन हुआ है। क्या मौसम की सटीक जानकारी देने वाली रियल-टाइम मॉनिटरिंग यूनिट्स बनाई गई हैं। अगर नहीं, तो इसका सीधा मतलब है — प्रशासन जानबूझकर जोखिम को नजरअंदाज़ कर रहा है।

 

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