
Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक में एक बड़ा पेंशन घोटाला सामने आया है, जिसमें अनुमानित रूप से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी हुई है। यह धोखाधड़ी मुख्य रूप से उन लोगों द्वारा की जा रही थी जो या तो मर चुके हैं लेकिन उनके नाम पर अभी भी पेंशन मिल रही है, या फिर नकली लाभार्थियों के जरिए सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है।
इस व्यापक धोखाधड़ी को रोकने और असली लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाने के लिए, राज्य सरकार के राजस्व विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब पेंशन लाभार्थियों के डेटा का डिजिटल भूमि रिकॉर्ड सिस्टम (DLRS) के साथ मिलान किया जा रहा है। DLRS किसी व्यक्ति के जीवित होने या न होने का एक महत्वपूर्ण प्रमाण होता है, क्योंकि भूमि रिकॉर्ड अक्सर मृत्यु के बाद अपडेट होते हैं।
यह नई पहल उन फर्जी लाभार्थियों की पहचान करने में मदद करेगी जो धोखाधड़ी से पेंशन ले रहे हैं। डिजिटल रिकॉर्ड की गहन जांच से यह पता चलेगा कि क्या लाभार्थी वास्तव में जीवित हैं और क्या वे पेंशन प्राप्त करने के पात्र हैं। इसके अलावा, आधार नंबर और बैंक खातों को पेंशन से जोड़ना भी धोखाधड़ी को रोकने में अहम भूमिका निभाएगा।
सरकार का लक्ष्य इस धोखाधड़ी को पूरी तरह से खत्म करना, सार्वजनिक धन की बर्बादी को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि पेंशन का वास्तविक लाभ उन ज़रूरतमंदों तक ही पहुंचे जिनके लिए यह योजना बनाई गई है। यह कदम सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
राजस्व विभाग के अधिकारी इस काम में जुट गए हैं और उम्मीद है कि जल्द ही बड़ी संख्या में ऐसे फर्जी लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें हटाया जाएगा, जिससे करोड़ों रुपये की बचत होगी और वास्तविक हकदारों को उनका लाभ मिल पाएगा।
--Advertisement--