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Up kiran,Digital Desk : अक्सर पुलिस को देखकर बच्चे या आम लोग थोड़ा घबरा जाते हैं, लेकिन आगरा के शाहगंज में सोमवार को नजारा कुछ अलग था। वहां के स्वामी लीला शाह आदर्श सिंधी इंटर कॉलेज में पुलिस अधिकारी एक शिक्षक की भूमिका में नजर आईं। मौका था अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित 'पुलिस की पाठशाला' का।

इस खास क्लास में एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा (ACP Dr. Sukanya Sharma) ने बच्चों को सिर्फ कानून का पाठ ही नहीं पढ़ाया, बल्कि उन्हें आज के डिजिटल दौर में सुरक्षित रहने के वो गुर सिखाए जो हर किसी के लिए जानना जरूरी है।

क्या है साइबर अपराध का 'गोल्डन आवर'?

एसीपी सुकन्या शर्मा ने छात्रों को एक बहुत पते की बात बताई। उन्होंने कहा कि जैसे किसी एक्सीडेंट में घायल व्यक्ति को बचाने के लिए शुरू का एक घंटा (गोल्डन आवर) बहुत कीमती होता है, ठीक वैसे ही साइबर ठगी में भी 'गोल्डन आवर' होता है।

अगर आपके या आपके माता-पिता के खाते से ठगी हो जाए, तो घबराकर रोने के बजाय तुरंत एक्शन लें। जितनी जल्दी आप साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करेंगे, उतनी ही जल्दी पुलिस आपके पैसे को आगे ट्रांसफर होने से रोक (Freez/Block) सकेगी। देर करने पर पैसा हाथ से निकल सकता है।

ठगों को कैसे पहचानें? (Safety Tips)

एसीपी ने बताया कि ठग अब नए-नए तरीके अपना रहे हैं। अगर कोई अनजान व्यक्ति आपको कॉल करके कहे कि:

  • "आपकी लॉटरी लगी है, टैक्स जमा करो।"
  • "मैं पुलिस या सीबीआई से बोल रहा हूं, तुम्हारे बच्चे ने अपराध किया है।"
  • "नौकरी लगवा दूंगा, पैसे भेजो।"
  • या फिर आपसे OTP मांगे।

तो समझ जाइए कि वह 100% ठग है। ऐसे कॉल से डरना नहीं है, तुरंत फोन काटें और पुलिस को खबर दें। किसी भी हालत में अपना ओटीपी शेयर न करें।

चुप न रहें, आवाज उठाएं

क्लास में एसीपी ने बच्चों के मन से पुलिस का डर निकाला। उन्होंने कहा कि अगर आप अपने घर के पास कोई गलत काम या अपराध होता देखें, तो चुपचाप तमाशा न देखें। घर बैठे 112 नंबर पर कॉल करें, पुलिस तुरंत पहुंचेगी।

खासकर छात्राओं को उन्होंने समझाया कि अगर उन्हें या किसी दूसरी महिला को कोई परेशान करे, तो 1090 (वूमेन पावर लाइन) पर कॉल करें। लखनऊ में बैठी महिला पुलिसकर्मी आपकी बात सुनेगी और मदद भेजेगी।

मदद करने वाले 'हीरो' हैं, मुजरिम नहीं

सड़क हादसों पर उन्होंने एक बहुत बड़ा भ्रम दूर किया। अक्सर लोग सड़क पर तड़पते घायल की मदद इसलिए नहीं करते कि कहीं पुलिस उन्हें ही न फंसा दे। एसीपी ने साफ किया कि घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले को पुलिस कभी परेशान नहीं करती। बल्कि यह इंसानियत का काम है और हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

सवालों की बौछार और इनाम

इस पाठशाला में बच्चे भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने एसीपी मैडम से कई तीखे और मासूम सवाल पूछे, जिनका एसीपी ने बड़े प्यार से जवाब दिया। सही जवाब देने वाले और जागरूक छात्रों—आदित्य, आकाश, तेजस्व त्यागी, कार्तिक और अन्य—को अमर उजाला की तरफ से ज्ञानवर्धक पुस्तकें देकर सम्मानित भी किया गया।

स्कूल की प्रिंसिपल प्रीति नागपाल और अन्य शिक्षकों ने माना कि किताबी पढ़ाई के साथ-साथ यह व्यावहारिक ज्ञान बच्चों के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।