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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड की सत्ता के गलियारों में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मौजूदा CM पुष्कर सिंह धामी की सरकार पर सीधे निशाना साधते हुए कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने राज्य प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर नाराजगी जताई है, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद खुलकर सामने आते दिखाई दे रहे हैं।
सरकार की कार्यशैली पर उठे सवाल
हाल ही में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान, त्रिवेंद्र रावत ने यह आरोप लगाया कि कुछ मामलों में पुलिस ने महीनों बीत जाने के बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की, जिससे आम जनता में सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर गहरा असंतोष पैदा हो रहा है। उन्होंने साफ किया कि यदि शासन में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई नहीं होगी, तो इससे पार्टी की छवि को सीधा नुकसान पहुंचेगा।
पहले भी उठा चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब रावत ने राज्य सरकार पर सवाल उठाए हों। कुछ महीनों पहले भी उन्होंने संसद के भीतर अवैध खनन का मुद्दा उठाकर सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया था। त्रिवेंद्र का कहना है कि जनता के भरोसे को बनाए रखना केवल एक राजनीतिक कर्तव्य नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है।
विपक्ष ने साधा निशाना
रावत के बयानों के बाद कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने पलटवार करते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2017 में, जब त्रिवेंद्र मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने पार्टी के लिए 30 करोड़ रुपये का चंदा जुटाया था, जिसमें एक करोड़ रुपये कथित तौर पर खनन गतिविधियों से जुड़े थे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिवेंद्र सिंह ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि पार्टी को उनके कार्यकाल में केवल 27 करोड़ रुपये मिले थे, वह भी पूरी तरह चेक के माध्यम से।
भीतरघात के सुर और नाराज़ विधायक
पार्टी के भीतर असंतोष की आवाज़ सिर्फ त्रिवेंद्र रावत तक सीमित नहीं है। पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने भी अपने क्षेत्र में विकास की धीमी रफ्तार के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि अयोग्य लोगों को मंत्री बनाकर उनके क्षेत्र की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने अपनी बात प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट तक पहुंचाई है।
वहीं, गदरपुर से विधायक अरविंद पांडे ने नदियों में बेलगाम खनन का मामला उठाया और चेतावनी दी कि इससे निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। उनका कहना है कि माफिया राज को रोकना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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