Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों राजनीतिक दल टीएमसी और भाजपा ने अपनी तैयारियां जोर शोर से शुरू कर दी हैं। राज्य सरकार आगामी 1 से 4 सितंबर तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने जा रही है। इस सत्र में भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों पर हो रहे कथित अत्याचारों का मुद्दा उठाया जा सकता है। इसके साथ ही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर भी विधानसभा में प्रस्ताव लाने की संभावना जताई जा रही है।
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में एसआईआर प्रक्रिया कराए जाने के बाद विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध तेज कर दिया है। पश्चिम बंगाल में तीन दिन तक चलने वाला यह विशेष सत्र राजनीतिक माहौल को और गर्मा सकता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले भी राजस्थान, ओडिशा सहित कई राज्यों में बंगालियों के खिलाफ हो रहे कथित अन्याय पर भाजपा पर कटाक्ष किया है। उन्होंने राज्यों से लौटने वाले बंगाली मजदूरों के लिए ‘श्रमश्री योजना’ लागू की है, जिसके तहत इन्हें हर माह केवल 5 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार टीएमसी विधानसभा में एसआईआर का कड़ा विरोध करने वाली है, क्योंकि माना जा रहा है कि चुनाव आयोग बंगाल में भी विधानसभा चुनाव से पहले इसी तरह का पुनरीक्षण करा सकता है। दूसरी ओर, बिहार में राहुल गांधी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाल रहे हैं, जिसमें टीएमसी के नेता यूसुफ पठान और ललितेश त्रिपाठी भी अंतिम चरण में हिस्सा लेंगे, जिससे दोनों पार्टियों के बीच मेल-जोल भी दिख रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के सदस्य हैं। हाल ही में सीवान में आयोजित जनसभा में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वे भाजपा की मदद से वोट चोरी में संलिप्त हैं, जिसके चलते भाजपा के शीर्ष नेता घबरा गए हैं।
विपक्षी दलों का मानना है कि एसआईआर अभियान के कारण मतदाता सूची से करीब 65 लाख लोगों के नाम हटाने का प्रयास उनके मतदान अधिकार पर हमला है। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस बिहार में इस मसले को प्रमुखता से उठाना चाहती है ताकि लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित किए जाने का भंडाफोड़ हो सके।
पश्चिम बंगाल और बिहार दोनों राज्यों में चुनावी प्रक्रिया गहन राजनीति के बीच आगे बढ़ रही है, जहां मतदाता सूची और जातीय-सांस्कृतिक मुद्दे सियासी बहस का मुख्य केंद्र बने हुए हैं। आगामी समय में विशेष सत्र और यात्रा के प्रभाव से राजनीतिक परिदृश्य में नए मायने जुड़ने के आसार हैं।
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