
Up Kiran, Digital Desk: केरल का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह महिलाओं के प्रवेश का विवाद नहीं, बल्कि कुछ ऐसा है जो सीधे-सीधे करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़ा है। मंदिर के खजाने में रखे सोने को लेकर चोरी के आरोपों ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। मामला अब सिर्फ जांच का नहीं, बल्कि सरकार और विपक्ष के बीच एक खुली राजनीतिक जंग का बन चुका है।
क्या है विपक्ष का बड़ा आरोप: इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब विपक्ष ने यह सनसनीखेज आरोप लगाया कि भगवान अयप्पा को चढ़ाए गए सोने और मंदिर के खजाने में गड़बड़ी हो रही है। विपक्ष, जिसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों शामिल हैं, का कहना है कि मंदिर का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड की देखरेख में सोना गायब हो रहा है या उसका सही हिसाब नहीं रखा जा रहा है।
विपक्ष ने सीधे तौर पर राज्य की लेफ्ट सरकार पर हमला बोला है। उनका आरोप है कि सरकार इस पूरे मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है और दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस मामले की एक निष्पक्ष और उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है।
सरकार का पलटवार: विपक्ष के इन आरोपों पर केरल सरकार भी चुप नहीं बैठी है। सरकार ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह विपक्ष की एक सोची-समझी साजिश है, जिसका मकसद सबरीमाला जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लोगों को भड़काना और सरकार की छवि खराब करना है।
सरकारी प्रतिनिधियों का कहना है कि विपक्ष के पास इन आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं है और वे सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए अफवाहें फैला रहे हैं। उन्होंने कहा है कि मंदिर का सारा हिसाब-किताब पारदर्शी है और किसी भी तरह की कोई चोरी नहीं हुई है।
क्यों मचा है इतना बवाल: सबरीमाला मंदिर करोड़ों हिंदुओं के लिए आस्था का एक बहुत बड़ा केंद्र है। भक्त अपनी श्रद्धा से भगवान अयप्पा को सोना-चांदी और कीमती वस्तुएं चढ़ाते हैं। ऐसे में मंदिर के खजाने से किसी भी तरह की गड़बड़ी या चोरी का आरोप लगना एक बहुत ही संवेदनशील और भावुक मामला बन जाता है।
राजनीतिक पार्टियां इस बात को अच्छी तरह समझती हैं, इसीलिए यह मुद्दा अब आस्था से ज्यादा सियासत का अखाड़ा बन गया है। एक तरफ विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बताकर जनता के बीच अपनी पैठ बनाना चाहता है, तो दूसरी तरफ सरकार इसे अपनी छवि पर हमला बताकर विपक्ष को घेर रही है।
फिलहाल, भगवान अयप्पा के सोने पर शुरू हुई यह लड़ाई अब पूरी तरह से सियासी रंग ले चुकी है, और इस आरोप-प्रत्यारोप के शोर में सच्चाई कहीं दबती हुई नजर आ रही है।