Up kiran,Digital Desk : केंद्रीय मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी पर एक बड़ा और विवादित बयान देकर सियासी हलचल मचा दी है। गया में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने न सिर्फ यह बताया कि कौन सी शराब पीने से "फायदा" होता है, बल्कि पुलिस के काम करने के तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि असली शराब माफिया को पुलिस छोड़ देती है और गरीब आदमी को पकड़कर जेल भेज देती है।
"मेरे पिता बनाते थे 'फायदेमंद' शराब"
शराबबंदी का खुलकर विरोध करते हुए मांझी ने कहा, "मेरे पिता ईख (गन्ना) और महुआ की शराब बनाते थे। वह शराब पीने से फायदा होता है।" उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तीसरी बार शराबबंदी कानून की समीक्षा करने के लिए भेजा है। पुलिस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, "हजारों-हजार गैलन शराब बेचने वालों को पुलिस 'गट्टा' (घूस) लेकर छोड़ देती है और हमारे गरीब आदमी को (ब्रेथ एनालाइजर से) फूंकवाकर जेल भेज देती है।"
नीतीश की तारीफ, पर शिक्षकों पर भड़के मांझी
हालांकि, अपने भाषण में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ भी की। मांझी ने कहा, "नीतीश कुमार 20 साल तक मुख्यमंत्री रहे, यह सौभाग्य की बात है। इसीलिए उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है। जब मैं 1980 में था, तब स्कूल के भवन नहीं थे, बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ते थे। आज बिहार में हर जगह स्कूल हैं।"
लेकिन इसके तुरंत बाद उन्होंने सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "सरकारी स्कूल के शिक्षक पढ़ाते नहीं हैं। वहां सिर्फ गरीब के बच्चे पढ़ते हैं, अमीर लोग तो 10-20 लाख रुपये देकर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। शिक्षक 60-70 हजार रुपये महीना वेतन लेते हैं, फिर भी गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे रहे।" उन्होंने अतरी विधानसभा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां तो प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) ही नहीं है, डीएम और जिला शिक्षा पदाधिकारी क्या कर रहे हैं?
"किस्मत नहीं होती तो भुइयां का बेटा CM-मंत्री कैसे बनता?"
अपने राजनीतिक सफर पर बात करते हुए मांझी ने कहा कि वे 8 बार चुनाव जीत चुके हैं। 82 साल की उम्र में चुनाव लड़ा, अब 85 में लड़ेंगे या नहीं, यह वक्त बताएगा। उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि सोन नदी का पानी फल्गु में लाने की 700 करोड़ की योजना थी, 100 करोड़ जमा भी हो गए थे, लेकिन सरकार बदलने से वह रुक गई। उन्होंने गंगाजल योजना पर तंज कसते हुए कहा कि गंगा का पानी पीने के लिए है, सिंचाई के लिए नहीं। सोन का पानी आता तो पूरा इलाका हरा-भरा हो जाता।
अंत में उन्होंने अपनी आस्था पर बात करते हुए कहा, “मैं भले पूजा-पाठ नहीं करता, लेकिन भगवान में विश्वास रखता हूं। अगर किस्मत नहीं होती तो एक भुइयां का बेटा मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री कैसे बन जाता?”
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