
21 अप्रैल 2025 को पोप फ्रांसिस, कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु, का निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे और अपने अंतिम समय में वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित निवास में थे। वेटिकन द्वारा जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि पोप फ्रांसिस पिछले कुछ समय से फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे थे और उन्हें डबल निमोनिया हो गया था। इसी वजह से उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई।
इस दुखद अवसर पर, यह समझना जरूरी हो जाता है कि डबल निमोनिया क्या होता है, इसके लक्षण क्या होते हैं, और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।
क्या होता है डबल निमोनिया?
डबल निमोनिया का मतलब है कि दोनों फेफड़ों में एक साथ संक्रमण हो गया है। इसे चिकित्सा की भाषा में बायलेटरल निमोनिया कहा जाता है। यह स्थिति बेहद गंभीर होती है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए। इसमें फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिर सकता है।
आयुर्वेदाचार्य स्वामी रामदेव के अनुसार, जब फेफड़ों में अधिक मात्रा में कफ जमा हो जाता है और वह बाहर नहीं निकल पाता, तो यह डबल निमोनिया का रूप ले सकता है। यह स्थिति सांस लेने में कठिनाई पैदा करती है और समय रहते इलाज न मिले तो जानलेवा भी साबित हो सकती है।
डबल निमोनिया के सामान्य लक्षण
डबल निमोनिया के लक्षण कई बार सामान्य फ्लू जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनमें गंभीरता अधिक होती है। यदि इन लक्षणों को समय रहते पहचाना जाए तो इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है।
तेज बुखार: अचानक और लगातार तेज बुखार आना।
लगातार खांसी: जिसमें कफ के साथ मवाद या खून भी आ सकता है।
सांस लेने में तकलीफ: गहरी सांस लेते समय सीने में दर्द या घुटन महसूस होना।
थकान और कमजोरी: बिना काम किए भी अत्यधिक थकान होना।
सीने में दर्द: खासकर खांसते या सांस लेते समय सीने में चुभन महसूस होना।
ऑक्सीजन का स्तर गिरना: शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाने से होंठ या नाखून नीले हो सकते हैं।
भ्रम की स्थिति: खासकर बुजुर्गों में मानसिक भ्रम या चेतना की कमी देखी जा सकती है।
इनमें से कोई भी लक्षण नजर आते ही, डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी होता है।
डबल निमोनिया के संभावित कारण
डबल निमोनिया के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें मुख्यतः बैक्टीरियल, वायरल और फंगल संक्रमण शामिल हैं। इसके अलावा कुछ जीवनशैली से जुड़ी आदतें और स्वास्थ्य स्थितियां भी इसके जोखिम को बढ़ाती हैं।
1. बैक्टीरियल संक्रमण
स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया: यह सबसे आम बैक्टीरिया है जो निमोनिया का कारण बनता है।
माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया: जिसे “वॉकिंग न्यूमोनिया” भी कहा जाता है। यह अपेक्षाकृत हल्का होता है लेकिन लंबे समय तक बना रह सकता है।
2. वायरल संक्रमण
इन्फ्लूएंजा वायरस और राइनोवायरस: ये सामान्य फ्लू के वायरस हैं जो गंभीर निमोनिया का रूप ले सकते हैं।
कोरोनावायरस (COVID-19): यह भी डबल निमोनिया का कारण बन सकता है, खासकर उन लोगों में जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।
3. फंगल संक्रमण
हिस्टोप्लाज्मा और कैंडिडा: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में ये फंगल संक्रमण गंभीर फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकते हैं।
4. कमजोर इम्यून सिस्टम
बुजुर्ग और छोटे बच्चे, या जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है (जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर), वे इस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
5. धूम्रपान और प्रदूषण
धूम्रपान: फेफड़ों की सफाई प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे संक्रमण आसानी से फैल सकता है।
वायु प्रदूषण: लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और संक्रमण जल्दी फैलता है।
डबल निमोनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें समय पर इलाज और पहचान बहुत जरूरी है। पोप फ्रांसिस की मृत्यु जैसे दुखद उदाहरण हमें यह याद दिलाते हैं कि बुजुर्गों और कमजोर व्यक्तियों को नियमित स्वास्थ्य जांच और देखभाल की आवश्यकता होती है। अगर आप या आपके आसपास कोई इन लक्षणों से जूझ रहा हो, तो बिना समय गंवाए चिकित्सकीय सलाह लें।