_1816664322.jpg)
10 अप्रैल, गुरुवार को एक विशेष आध्यात्मिक संयोग बन रहा है। इस दिन प्रदोष व्रत के साथ-साथ अनंग त्रयोदशी का भी व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। जब प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
वहीं, अनंग त्रयोदशी व्रत चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को होता है। यह व्रत प्रेम, दांपत्य सुख और सौहार्द बढ़ाने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन कामदेव और रति के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।
प्रदोष व्रत और अनंग त्रयोदशी के विशेष उपाय
1. जीवनसाथी का प्रेम बढ़ाने के लिए
कामदेव के मंत्र का 21 बार जाप करें:
मंत्र: क्लीं कामदेवाय नमः
2. रूठे हुए जीवनसाथी को मनाने के लिए
एक सफेद कागज पर सिंदूर से "क्लीं" लिखकर उसे मोड़कर जीवनसाथी की अलमारी में रख दें।
3. संतान को लेकर चल रही चिंता को दूर करने के लिए
भगवान शिव और माता पार्वती की धूप-दीप से विधिवत पूजा करें और एकाक्षी नारियल अर्पित करें।
4. किसी उलझन या मानसिक असमंजस से छुटकारा पाने के लिए
शिव जी को प्रणाम करके निम्न मंत्र का 5 बार जाप करें:
मंत्र: शवे भक्ति: शिवे भक्ति: शिवे भक्तिर्भवे भवे। अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम्।
5. रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने के लिए
कामदेव और रति की मूर्ति या तस्वीर पर फूल चढ़ाएं, न मिले तो भगवान शिव और पार्वती को फूल अर्पित करें।
6. प्रेम विवाह के लिए घर वालों की सहमति पाना चाहते हैं
शिव मंदिर जाकर 5 बेलपत्र पानी से धोकर शिवलिंग पर एक-एक करके चढ़ाएं और हर बार ऊँ नमः शिवाय बोलें।
7. लगातार तरक्की पाने के लिए
शाम को शिव मंदिर में पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
8. दांपत्य जीवन में तालमेल के लिए
शिवलिंग पर जल अर्पण के बाद शहद चढ़ाएं।
9. वैवाहिक जीवन पर पारिवारिक तनाव का असर है
इस मंत्र का 11 बार जाप करें:
मंत्र: ऊँ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ऊँ नमः शिवाय।
10. संतान के वैवाहिक जीवन में समस्या है
एक कच्चा नारियल (जटा वाला) लें, उस पर 7 बार मौली लपेटें, संतान से स्पर्श करवाकर शिव मंदिर में अर्पित करें।
11. दांपत्य संबंध को मजबूत बनाने के लिए
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर पर सात बार मौली लपेटें और वही मौली वहीं छोड़ दें। दोनों से आशीर्वाद लें।