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Up Kiran, Digital Desk: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है, लेकिन जब यह शुक्रवार के दिन पड़ता है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। ज्योतिष में शुक्र को सुख, समृद्धि और सौभाग्य का कारक माना गया है। इसलिए इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान शिव के साथ-साथ शुक्र देव की भी कृपा मिलती है, जिससे जीवन में धन-धान्य और खुशियों की कोई कमी नहीं रहती।

इस बार यह ख़ास संयोग बन रहा है, जो आपके जीवन में सुख-समृद्धि ला सकता है।

इस बार क्यों इतना ख़ास है शुक्र प्रदोष व्रत?

आने वाला शुक्र प्रदोष व्रत ज्योतिष की दृष्टि से बहुत ही शुभ माना जा रहा है। इस दिन कई अच्छे योग बन रहे हैं, जिससे इस व्रत का फल कई गुना अधिक मिलेगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ और रुद्राभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। यह दिन उन लोगों के लिए भी ख़ास है जिनके विवाह में देरी हो रही है या जिन्हें संतान सुख की चाह है।

पूजा का सही समय और विधि

प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम के समय, यानी प्रदोष काल में की जाती है। यह समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होता है और 45 मिनट बाद तक रहता है।

सरल पूजा विधि:

व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ़ कपड़े पहनें।

इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

आप दिन भर फल और जल ग्रहण कर सकते हैं। अन्न का सेवन न करें।

शाम को प्रदोष काल में फिर से स्नान करें और पूजा की तैयारी करें।

घर के मंदिर में या किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें।

शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी और शहद से अभिषेक करें।

इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, फूल और अक्षत चढ़ाएं।

"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

आखिर में शिव चालीसा का पाठ करें और आरती करके पूजा संपन्न करें।

रुद्राभिषेक का विशेष महत्व:प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। अगर संभव हो तो किसी योग्य पंडित से प्रदोष काल में रुद्राभिषेक अवश्य करवाएं।

यह शुक्र प्रदोष व्रत आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाने का एक बेहतरीन अवसर है। इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई पूजा से भगवान भोलेनाथ अवश्य प्रसन्न होंगे।