Up Kiran, Digital Desk: दोस्तों, राजनीति की दुनिया में कब कौन बाजी पलट दे, कहा नहीं जा सकता! और जब बात प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) जैसे रणनीतिकार से नेता बने शख्स की हो, तो उनके हर कदम पर सबकी निगाहें बनी रहती हैं. अभी बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Election) के जो नतीजे आए हैं, वे शायद प्रशांत किशोर के 'जन सुराज अभियान' (Jan Suraaj Abhiyan) के लिए उतनी ख़ुशी लेकर नहीं आए, जितनी उम्मीद की जा रही थी. लेकिन, इन नतीजों के बाद प्रशांत किशोर का जो बयान आया है, वह वाकई गौर करने लायक है!
उन्होंने साफ-साफ कह दिया है कि चुनावी हार से झटका तो लगा है, पर वे अपनी गलतियों को सुधारेंगे और खुद को नए सिरे से मज़बूत करके फिर उठेंगे. यह बयान उन सभी अटकलों पर विराम लगाता है, जो सोच रहे थे कि शायद वे हार के बाद मैदान छोड़ देंगे.
हारी ज़रूर हैं, पर हिम्मत टूटी नहीं है!
मंगलवार, 18 नवंबर 2025 को बिहार चुनाव के परिणामों (Bihar Polls Results) पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने बेबाकी से बात की. उन्होंने माना कि उनके अभियान को इस बार हार का सामना करना पड़ा है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने बड़ी हिम्मत दिखाते हुए कहा कि, "झटका लगा है, पर इससे सीखेंगे. हम अपनी गलतियों को सुधारेंगे और खुद को नए सिरे से मज़बूत करके फिर से खड़े होंगे."
आम तौर पर, चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद नेता अक्सर एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगते हैं, लेकिन प्रशांत किशोर ने यह साफ कर दिया कि वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे. उनका रुख बहुत सीधा था कि वे इस चुनावी नाकामी की जिम्मेदारी लेते हैं और भविष्य के लिए योजना बनाने में जुट गए हैं.
क्या है 'गलतियाँ सुधारने' का प्लान?
प्रशांत किशोर पिछले कुछ समय से बिहार में जन-सुराज अभियान के तहत ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, जिसका मकसद बिहार को बेहतर बनाना और आम लोगों से सीधे जुड़कर एक नया राजनीतिक विकल्प तैयार करना है. हार के बाद उनकी 'गलतियाँ सुधारने' वाली बात शायद उनके अभियान की रणनीति, लोगों तक अपनी बात पहुँचाने के तरीके, या संगठन को और मजबूत करने से जुड़ी हो सकती है.
उन्होंने यह संकेत दिया है कि भले ही इस बार सफलता नहीं मिली, लेकिन यह उनके लिए सीखने का एक बड़ा मौका है. वह बिहार की ज़मीनी हकीकतों को और गहराई से समझेंगे, अपनी कमजोरियों पर काम करेंगे और अगली बार और मजबूती के साथ सामने आएँगे.
यह प्रशांत किशोर के मजबूत इरादों को दर्शाता है कि वे हारकर भी मैदान नहीं छोड़ेंगे, बल्कि और ज़्यादा ऊर्जा और नए संकल्प के साथ काम करते रहेंगे. बिहार की राजनीति में उनके इस नए अध्याय पर सबकी निगाहें रहेंगी!
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