बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और राजनीतिक हलचलें तेज़ हो गई हैं। विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया अलायंस अब अपने रणनीतिक फैसले लेने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में पटना में आज महागठबंधन की अहम बैठक बुलाई गई है, जहां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव को आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किए जाने पर फैसला लिया जा सकता है।
बैठक दोपहर 1 बजे राजद के कार्यालय में होनी है, जिसमें प्रमुख दलों के नेता मौजूद रहेंगे। राजद से खुद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, सांसद मनोज झा और सांसद संजय यादव बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। कांग्रेस की ओर से बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम शामिल होंगे। वाम दलों से भाकपा माले, भाकपा और माकपा के वरिष्ठ नेता भी बैठक में भाग लेंगे। इसके अलावा वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी और प्रवक्ता देवज्योति की भी उपस्थिति तय मानी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मुख्य एजेंडा तेजस्वी यादव को विपक्ष के सीएम चेहरे के रूप में घोषित करना है। यदि बैठक में सहमति बनती है तो यह विपक्ष के लिए एकजुटता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।
नीतीश कुमार फिर से एनडीए के चेहरे, लेकिन सवाल बरकरार
बिहार की मौजूदा सरकार, जो कि एनडीए गठबंधन के तहत चल रही है, 22 नवंबर 2025 तक कार्यकाल पूरा करेगी। इसके पहले चुनाव आयोग को चुनाव संपन्न कराना है। इसी को ध्यान में रखते हुए आयोग ने बूथ लेवल स्टाफ की ट्रेनिंग शुरू कर दी है।
वहीं, सत्ताधारी दल भी अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं। एनडीए गठबंधन की ओर से एक बार फिर नीतीश कुमार को चुनावी चेहरा बनाने की घोषणा हो चुकी है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने साफ कहा है कि नीतीश ही गठबंधन का नेतृत्व करेंगे। हालांकि, विपक्ष लगातार नीतीश की उम्र और सेहत को लेकर सवाल उठा रहा है। ऐसी अटकलें भी लग रही हैं कि चुनाव के बाद, महाराष्ट्र की तर्ज पर, भाजपा मुख्यमंत्री पद को अपने हाथ में लेने की कोशिश कर सकती है।
2020 का चुनाव: तीन चरणों में हुआ था मतदान
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में तीन चरणों में मतदान हुआ था। बिहार की कुल 243 सीटों में पहले चरण में 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर, दूसरे चरण में 3 नवंबर को 94 सीटों पर और तीसरे चरण में 7 नवंबर को 78 सीटों पर वोट डाले गए थे। वोटों की गिनती 10 नवंबर को हुई थी।
2020 के नतीजों से बना सत्ता का समीकरण
2020 में आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा (122 सीटें) पार कर सरकार बना ली थी। भाजपा को 74 और जेडीयू को 49 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 19, वामपंथी दलों को 16 और एआईएमआईएम को 5 सीटें मिली थीं।
बाद में राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आया। नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बनाई, लेकिन कुछ समय बाद वह फिर भाजपा के साथ लौट आए। अब वे लगातार यह दोहरा रहे हैं कि वे अब हमेशा भाजपा के साथ ही रहेंगे।
इस बार सीट बंटवारे पर होगा पुराना प्रदर्शन का असर
पिछले चुनाव के नतीजों का असर इस बार सीटों के बंटवारे पर साफ दिखाई देगा। कांग्रेस और वाम दल जहां अपने प्रदर्शन के आधार पर ज्यादा सीटें चाहेंगे, वहीं आरजेडी अपने प्रभाव को देखते हुए बड़ी हिस्सेदारी पर जोर दे सकती है।
बिहार की राजनीति अब निर्णायक मोड़ पर है। एक ओर सत्ता में स्थायित्व की बात हो रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष एकजुट होकर नए चेहरे और नई ऊर्जा के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है। आने वाले महीने बिहार की सियासत के लिहाज से बेहद अहम होंगे।
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