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Up Kiran, Digital Desk: हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जो हर पल बदल रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऑटोमेशन और नई-नई टेक्नोलॉजी हमारे काम करने, सोचने और जीने के तरीके को बदल रही है। ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है—क्या हमारी शिक्षा प्रणाली हमारी अगली पीढ़ी (Gen Z और Gen Alpha) को इस भविष्य के लिए तैयार कर रही है?

सालों से हमारी शिक्षा का तरीका काफी हद तक एक जैसा रहा है—किताबें पढ़ना, जानकारी रटना और परीक्षा में उसे लिख देना। इस पारंपरिक शिक्षा ने हमें ज्ञान तो दिया, लेकिन इसने किताबी ज्ञान और असल दुनिया की ज़रूरतों के बीच एक बड़ी खाई भी पैदा कर दी है। आज के समय में सिर्फ जानकारी होना ही काफी नहीं है, बल्कि उस जानकारी का इस्तेमाल करके कुछ नया बनाना और समस्याओं को सुलझाना ज़्यादा ज़रूरी है।

'करके सीखना' क्यों है ज़रूरी?

यहीं पर 'हैंड्स-ऑन स्किल डेवलपमेंट' यानी 'करके सीखने' की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। यह सिर्फ थ्योरी पढ़ने के बजाय छात्रों को अपने हाथों से काम करने, प्रयोग करने और असल प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। जब कोई छात्र रोबोटिक्स क्लास में एक रोबोट बनाता है या कोडिंग सीखकर एक छोटा सा ऐप तैयार करता है, तो वह सिर्फ तकनीकी ज्ञान नहीं सीख रहा होता, बल्कि कई और ज़रूरी हुनर भी हासिल कर रहा होता है:

यह सीखने की प्रक्रिया को बोझिल बनाने के बजाय उसे मजेदार और यादगार बना देता है। यह छात्रों को सिर्फ "क्या" नहीं सिखाता, बल्कि "कैसे" और "क्यों" भी सिखाता है।

भविष्य अनिश्चित है, लेकिन एक बात तय है—सफलता उन्हीं को मिलेगी जो adaptable (बदलाव के लिए तैयार) होंगे, जो रचनात्मक होंगे और जिनके पास असल दुनिया में काम आने वाले हुनर होंगे। इसलिए, अब समय आ गया है कि हम अपनी शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाएं और अपनी अगली पीढ़ी को सिर्फ डिग्रीधारी नहीं, बल्कि कुशल, आत्मविश्वासी और भविष्य के लिए तैयार नागरिक बनाएं।

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