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Up Kiran, Digital Desk: भारत के महान सांख्यिकीविद् (सांख्यिकी के वैज्ञानिक) प्रशांत चंद्र महालनोबिस के असाधारण योगदान को तिरुपति में बड़े सम्मान के साथ याद किया गया है। उन्हें अक्सर भारतीय सांख्यिकी का जनक कहा जाता है, और उनके काम ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में आंकड़ों के विज्ञान को एक नई दिशा दी।

तिरुुपति में आयोजित एक कार्यक्रम में वक्ताओं ने महालनोबिस के उन महान कार्यों की चर्चा की, जिन्होंने भारत की योजना और विकास में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि कैसे महालनोबिस ने केवल संख्याओं को जोड़ना-घटाना ही नहीं सिखाया, बल्कि आंकड़ों के जरिए समस्याओं को समझने और उनका हल निकालने का एक नया तरीका दिया।

महालनोबिस ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute - ISI) की स्थापना की, जो आज भी सांख्यिकी के क्षेत्र में दुनिया के बेहतरीन संस्थानों में से एक है। उन्होंने अपने 'महालनोबिस मॉडल' के जरिए भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में अहम योगदान दिया, जिससे देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में मदद मिली।

वक्ताओं ने कहा कि उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि उन्होंने सांख्यिकी को सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि एक ऐसा औजार बनाया जिससे देश की तरक्की की राह आसान हुई। उन्होंने आंकड़ों को केवल संख्याएं नहीं माना, बल्कि उनमें जीवन और संभावनाओं को देखा।

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