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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड के बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान और प्राधिकरण की नीतियों के खिलाफ चल रहा विरोध आंदोलन अब और प्रबल हो गया है। सोमवार को बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, पंडा समाज, तीर्थ पुरोहित और होटल व्यवसायी सड़कों पर उतरे और सरकार पर “थोपे गए निर्णय” का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की।

बाल मुंडवा कर जताया प्रतिरोध

विरोध के 15वें दिन आंदोलनकारियों ने अलग ही अंदाज में नाराजगी जताई। बदरीनाथ में पंडा समाज के प्रतिनिधियों ने सामूहिक रूप से मुंडन कराते हुए सरकार को चेताया कि मास्टर प्लान धार्मिक आस्था और परंपरा पर सीधा प्रहार है। यह प्रतीकात्मक आंदोलन धीरे-धीरे पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया।

कारोबारियों ने भी किया समर्थन

सोमवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक धाम के होटल, रेस्टोरेंट, प्रसाद की दुकानें और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे। माणा, बामणी, लामबगड़ और गोविंदघाट से भी बड़ी संख्या में लोग जुलूस निकालते हुए बदरीनाथ पहुंचे। आंदोलनकारियों का जत्था जब साकेत तिराहे पर पहुंचा तो अशोक टोडरिया, अक्षय मेहता और दीपक राणा ने बाल मुंडवाकर विरोध का संदेश दिया।

संयुक्त बद्रीश समिति के बैनर तले धरना

इसी के साथ सोमवार से संयुक्त बद्रीश समिति के नेतृत्व में धरना भी शुरू हो गया है। इसमें राजवीर मेहरा, अशोक टोडरिया, अक्षय मेहता, दीपक राणा, विशाल नैथानी, प्रवीण ध्यानी और पीताम्बर मोल्फा शामिल होकर बैठे। सभी ने साफ कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं करती, यह आंदोलन रुकेगा नहीं।

आंदोलनकारियों की चेतावनी

आंदोलन का हिस्सा बने अशोक टोडरिया ने कहा, “हम लगातार 15 दिनों से विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में यह आंदोलन और उग्र रूप लेगा।”

आस्था बनाम मास्टर प्लान

स्थानीय निवासियों और पंडा समाज का मानना है कि मास्टर प्लान और प्राधिकरण की नीतियां बदरीनाथ धाम की परंपरा और धार्मिक स्वरूप को नुकसान पहुंचा सकती हैं। उनका कहना है कि सरकार को विकास योजनाएं बनाने से पहले यहां की आस्था, संस्कृति और रोजगार से जुड़े पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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