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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक का पवित्र तीर्थस्थल धर्मस्थला, जो अपनी धार्मिक शांति और आध्यात्मिक माहौल के लिए जाना जाता है, एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। दशकों से अनसुलझे पड़े हत्या, बलात्कार और संदिग्ध मौतों के मामलों को लेकर नागरिक समाज में आक्रोश बढ़ रहा है। एक्टिविस्ट के. दिनेश गनिगा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन गंभीर Allegations को उजागर किया है, जिससे जनता का विश्वास एक बार फिर डगमगा गया है।

30 से अधिक वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा: हाई-प्रोफाइल केसों पर उठते सवाल

एक्टिविस्ट दिनेश गनिगा ने दावा किया है कि 1970 से 2025 के बीच, धर्मस्थला और उसके आसपास के इलाकों में कई हाई-प्रोफाइल मामले अनसुलझे रह गए हैं। उन्होंने विशेष रूप से कुछ ऐसे मामलों का जिक्र किया जिन्होंने राज्यव्यापी सदमा पहुंचाया था:

गनिगा ने इन सभी मामलों में पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतने गंभीर अपराधों के बावजूद किसी भी संदिग्ध को दोषी नहीं ठहराया गया है।

पुलिस रिकॉर्ड पर संदेह, 452 संदिग्ध मौतें दर्ज

चिंताजनक बात यह है कि गनिगा ने पुलिस रिकॉर्ड और स्थानीय पंचायत रिपोर्टों के बीच विसंगतियों को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि अकेले 2002 से 2012 के बीच, धर्मस्थला और उजिरे में 452 'अस्वाभाविक मौतें' (unnatural deaths) दर्ज की गईं। यह आंकड़ा अपने आप में कई गंभीर सवाल खड़े करता है और इन घटनाओं की गंभीरता को दर्शाता है। एक्टिविस्ट का आरोप है कि पुलिस की विफलता ने जनता के भरोसे को गहरा आघात पहुँचाया है।

राजनीतिक तुष्टिकरण और निष्क्रियता का आरोप

गनिगा ने राजनीतिक नेताओं पर भी निशाना साधा, आरोप लगाया कि वे धार्मिक या चुनावी लाभ के लिए इन मुद्दों को चुनकर उठाते हैं, जबकि पहले हुई भयावह घटनाओं पर वे चुप्पी साधे रहते हैं। उन्होंने सरकार से इन अनसुलझे मामलों के प्रति अधिक संजीदगी दिखाने की अपील की।

एसआईटी जांच की मांग और 'उजिरे चलो' आंदोलन

नागरिक समाज समूहों ने अब इन संगीन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, चार प्रमुख मामलों को एक विशेष जांच दल (Special Investigation Team - SIT) को सौंपने की मांग की है। इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए, कार्यकर्ताओं ने 24 अगस्त को "उजिरे चलो" के बैनर तले पूरे राज्य में एक बड़े जन-आंदोलन की घोषणा की है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना, पीड़ितों को न्याय दिलाना और सरकार से जवाबदेही तय करवाना है।

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