Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान की राजनीति में अंदरूनी खींचतान तो जगज़ाहिर है. इसी कड़ी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने साफ-साफ शब्दों में जनता के पैसे के उपयोग में 'पारदर्शिता और जवाबदेही' की मांग की है. पायलट का यह बयान उस वक्त आया है जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और कांग्रेस अपनी वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
'फ्रीबीज़' से नहीं, नीतियों से आएगी खुशहाली
सचिन पायलट ने गहलोत सरकार की 'फ्रीबीज़' (मुफ्त योजनाओं) की आलोचना करते हुए कहा कि केवल मुफ्त चीज़ें बांटने से गरीबी दूर नहीं होगी. उन्होंने कहा, "फ्रीबीज़ से खुशहाली नहीं आएगी, खुशहाली आएगी सही नीतियों से. जब आप लोगों के जीवन में बदलाव लाएंगे, उनका जीवन बेहतर करेंगे, उनका सशक्तीकरण करेंगे... सिर्फ फ्रीबीज़ से, हम कितनी भी घोषणाएं कर लें, वो पूरी हो जाएं, उसका मूल्यांकन करना आवश्यक है."
यह टिप्पणी सीधे तौर पर राजस्थान सरकार की कई मुफ्त योजनाओं, जैसे कि मुफ्त स्मार्टफोन, सस्ती रसोई गैस सिलेंडर, और बिजली बिलों में राहत जैसी पहलों पर सवाल खड़े करती है. पायलट का मानना है कि केवल लुभावनी योजनाएं ही काफी नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर नीतियों का सही क्रियान्वयन और जनता के प्रति जवाबदेही ज़रूरी है.
केंद्र और राज्य, दोनों पर सवाल
पायलट ने सिर्फ अपनी सरकार को ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार पर भी हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने चुनावी रैलियों में 'लालू के घोटाले' का मुद्दा उठाया, लेकिन अब खुद उनके साथ सत्ता साझा कर रही है. यह दर्शाता है कि चुनावी वादे सिर्फ वोट बटोरने का एक ज़रिया बनकर रह गए हैं.
क्या यह सिर्फ विरोध है, या कुछ और?
यह कोई पहला मौका नहीं है जब सचिन पायलट ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ आवाज़ उठाई हो. पिछले कुछ सालों से राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खुलकर खींचतान चल रही है. उनके ये बयान आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के भीतर मतभेदों को और उजागर करते हैं. पायलट हमेशा भ्रष्टाचार, पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे मुद्दों पर अपनी मुखर राय रखते आए हैं. अब देखना यह है कि उनके इन बयानों का पार्टी पर क्या असर होता है और विधानसभा चुनावों में यह क्या रंग लाते हैं.
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