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पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में एक बार फिर तेजी आई है, जिससे पूरे राज्य में चिंता का माहौल बन गया है। अकेले बुधवार को 283 घटनाएँ सामने आईं, और इस सीज़न में पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या 1,000 के पार पहुँच चुकी है। अब तक राज्य में 1,216 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। इन आंकड़ों को देखते हुए अधिकारियों ने सतर्कता बढ़ा दी है।

पिछले सप्ताह में पराली जलाने की घटनाओं में एक अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। इस सीज़न के 71 प्रतिशत मामले सिर्फ़ पिछले नौ दिनों में दर्ज किए गए हैं। 20 अक्टूबर तक राज्य में केवल 353 मामले सामने आए थे, लेकिन 21 अक्टूबर के बाद यह संख्या अचानक बढ़कर 863 तक पहुँच गई। यह तेजी से बढ़ती घटनाएँ सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इस सीज़न में लगभग 30-40 प्रतिशत धान की फसल अभी भी खेतों में खड़ी है, और किसान कटाई के बाद जल्दी ही गेहूं की बुवाई शुरू करने वाले हैं। ऐसे में, आने वाले दिनों में पराली जलाने की घटनाओं में और इज़ाफा होने की संभावना जताई जा रही है।

किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद, पंजाब सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की शुरुआत कर दी है। अब तक 376 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, और 432 मामलों में किसानों के ज़मीन रिकॉर्ड में "लाल प्रविष्टियाँ" दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, 24.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

राज्य के विभिन्न जिलों में इस समस्या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। तरनतारन में 296 मामले दर्ज किए गए हैं, जो राज्य में सबसे अधिक हैं। अमृतसर में 173 और संगरूर में 170 मामले दर्ज किए गए हैं।

पंजाब सरकार का दावा: 49% कमी

हालाँकि, पंजाब सरकार ने दावा किया है कि इस साल पराली जलाने के मामलों में 49 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले साल, 29 अक्टूबर तक राज्य में 2,356 घटनाएँ दर्ज की गई थीं, जबकि इस साल यही आंकड़ा 1,216 तक सीमित है। इसके बावजूद, मौजूदा उछाल से सरकार की चिंता बढ़ी हुई है।

दिल्ली में प्रदूषण का खतरा

वहीं, दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर गंभीर स्थिति में पहुँच चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, अक्षरधाम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 409 तक पहुँच चुका है, जिससे इसे 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया है। इस हालत ने दिल्ली में निवासियों की जीवनशैली पर असर डाला है। उन्हें आँखों में जलन, साँस लेने में कठिनाई और कम दृश्यता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

अधिकारियों ने प्रदूषण से निपटने के लिए विभिन्न उपायों की घोषणा की है, जिसमें ट्रकों पर पानी के छिड़काव यंत्र लगाए गए हैं।