Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, लेकिन जहां एक ओर महागठबंधन अभी तक सीट बंटवारे पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा, वहीं राजद ने एक बार फिर चौंकाने वाला कदम उठा लिया है। पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को कई नेताओं को पार्टी का चुनाव चिन्ह सौंप दिया। इससे न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल तेज हुई है, बल्कि गठबंधन के भीतर भी कई सवाल उठने लगे हैं।
कोर्ट से लौटे लालू, राबड़ी आवास बना राजनीतिक केंद्र
दिल्ली से IRCTC घोटाले के मामले में पेशी के बाद लौटे लालू यादव जब पटना पहुंचे, तो राबड़ी देवी के आवास पर नेताओं का जमावड़ा लग गया। बुलावे पर पहुंचे प्रत्याशी चेहरे पर आत्मविश्वास लिए चुनाव चिन्ह लेकर लौटते नजर आए। कई ऐसे भी थे जिनकी उम्मीदवारी की घोषणा भले न हुई हो, लेकिन उनका हावभाव साफ इशारा कर रहा था कि उन्हें चुनावी मैदान में उतरने की हरी झंडी मिल चुकी है।
टिकट पाने वालों में नए चेहरे और पुराने नेता शामिल
इस बार RJD ने उन नेताओं को भी मौका दिया है जो हाल ही में दूसरी पार्टियों से आए हैं। परबत्ता से सुनील सिंह को पार्टी का चुनाव चिन्ह सौंपा गया, जिन्होंने हाल ही में जेडीयू छोड़ी है। वहीं मटिहानी से पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो को भी RJD ने अपने पाले में शामिल कर टिकट दे दिया।
इसके अलावा, पार्टी के कुछ मौजूदा विधायक – जैसे भाई वीरेंद्र, मधेपुरा से चंद्रशेखर यादव और कांति से इसराइल मंसूरी – को भी आधिकारिक रूप से चुनाव चिन्ह प्रदान किया गया।
दूसरी बार भी दोहराया गया लोकसभा चुनाव वाला फॉर्मूला
लालू यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 के समय भी सहयोगियों की सहमति के बिना कई उम्मीदवारों को टिकट दिया था। अब विधानसभा चुनाव में भी वही स्टाइल अपनाया गया है – एकतरफा फैसले, बिना महागठबंधन के अंतिम निर्णय का इंतजार किए। यह दिखाता है कि RJD इस बार ज्यादा आक्रामक और रणनीतिक तरीके से आगे बढ़ रही है।

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