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Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतिहास, राष्ट्रभक्ति और संघ के योगदान पर विस्तार से बात की। इस कार्यक्रम का हर पहलू केवल संघ तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे देश के लिए एक भावनात्मक और ऐतिहासिक संदेश लेकर आया।

कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि आरएसएस से जुड़े लोगों ने न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया, बल्कि कई बार कठिनाइयों का भी सामना किया। उन्होंने बताया कि कैसे 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में चिमूर (महाराष्ट्र) में अंग्रेजों ने स्वयंसेवकों पर गंभीर अत्याचार किए थे। यही नहीं, आजादी के बाद भी निजाम शासन में इन कार्यकर्ताओं को पीड़ा सहनी पड़ी।

हर युग में कोई न कोई राष्ट्र के लिए खड़ा हुआ” – संघ को बताया 'राष्ट्र चेतना का अवतार'

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की धरती पर हर युग में ऐसे लोग जन्मे हैं जिन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा। उनके अनुसार, आरएसएस का जन्म भी ऐसा ही एक क्षण था। उन्होंने इसे ‘अनादि राष्ट्र चेतना का अवतार’ करार दिया। यह आज की पीढ़ी का सौभाग्य है कि वह संघ की शताब्दी मना रही है।

भारतीय करेंसी में पहली बार भारत माता का चित्र

कार्यक्रम की एक बड़ी घोषणा रही – 100 रुपये का नया सिक्का, जिस पर पहली बार भारत माता का चित्र उकेरा गया है। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था। इस सिक्के पर संघ का ध्येय वाक्य भी अंकित है – 'राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम', जिसका मतलब है कि “सब कुछ राष्ट्र को समर्पित है, मेरा कुछ नहीं।”

“संघ से जुड़े संगठनों में कभी मतभेद नहीं” – पीएम मोदी ने बताया कारण

मोदी ने कहा कि आरएसएस से जुड़े संगठन समाज के अलग-अलग वर्गों में काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी कभी टकराव नहीं होता। इसकी वजह उन्होंने स्पष्ट की – सबका लक्ष्य सिर्फ एक है: राष्ट्र सर्वोपरि। यही कारण है कि इतने वर्षों से संघ संगठित रूप से आगे बढ़ता रहा है।

हेडगेवार से लेकर हजारों स्वयंसेवक जेल गए

पीएम ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ संस्थापक और उनके साथियों को जेल की सजा हुई थी। इसके अलावा, संघ के लोगों ने न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों को शरण दी, बल्कि गोवा और दादरा-नागर हवेली के मुक्ति आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।