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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में चुनावी बिगुल बजते ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बार सभी की नजरें प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पर टिकी हैं। हालांकि, सूत्रों की मानें तो प्रशांत किशोर खुद मैदान में नहीं उतरेंगे। वे किसी सीट से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि पर्दे के पीछे रहकर रणनीति तय करेंगे और हर सीट पर उम्मीदवारों की जिम्मेदारी संभालेंगे।
कुछ समय पहले PK ने बयान दिया था कि अगर पार्टी कहेगी, तो वे चुनाव लड़ने को तैयार हैं। तब से चर्चा थी कि वे राघोपुर या करगहर सीट से ताल ठोक सकते हैं। लेकिन अब साफ हो गया है कि वो नेतृत्व करेंगे, लेकिन चुनावी रेस में हिस्सा नहीं लेंगे।
जन सुराज ने मांगा जनता से समर्थन – ऐप से जमा होगा चंदा!
राजनीतिक चंदा अब डिजिटल हो गया है। जन सुराज पार्टी ने 'जन सुराज योगदान ऐप' लॉन्च करके लोगों से आर्थिक सहयोग मांगा है। पार्टी के अध्यक्ष उदय सिंह ने बताया कि कोई भी व्यक्ति 100 से लेकर 50,000 रुपये तक इस ऐप के जरिए दान कर सकता है। यह ऐप हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
सिर्फ चंदा मांगने तक ही बात नहीं रुकी। पार्टी ने राज्य की एनडीए सरकार पर करीब 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। उदय सिंह ने कहा कि बिहार के लोग बदलाव चाहते हैं और इसी वजह से पार्टी को जबरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है।
PK का फोकस – बच्चों का भविष्य, वोट का असर!
प्रशांत किशोर ने बिहार के कोने-कोने की यात्रा की है। उनका संदेश साफ है – इस बार वोट सिर्फ जात-पात पर नहीं, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और परिवार के भविष्य को ध्यान में रखकर दें। उन्होंने कई जगहों पर लोगों से सीधे संवाद किया और कहा कि यह चुनाव बिहार के लिए एक नया रास्ता खोल सकता है।
जन सुराज की पहली लिस्ट आज, किसे मिलेगा टिकट?
आज जन सुराज पार्टी अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करने जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि किन नए चेहरों को मौका मिलता है और पार्टी किन मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरती है।
चुनावी तारीखें और जन सुराज की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे – 6 और 11 नवंबर को। नतीजे 14 नवंबर को सामने आएंगे। एनडीए और महागठबंधन पहले से ही सक्रिय हैं, लेकिन जन सुराज की एंट्री ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
प्रशांत किशोर के नेतृत्व में जन सुराज ने जिस तरह से पहले ही जमीन पर काम किया है, उससे साफ है कि पार्टी हल्के में लेने वाली नहीं है।