Up Kiran, Digital Desk: बिहार की सियासत में लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर नई पारी की शुरुआत करने की कोशिश तेज कर दी है। तीन दशक से भी अधिक समय से सत्ता की दौड़ से बाहर रही कांग्रेस अब प्रदेश में अपनी राजनीतिक धरातल दोबारा तैयार करने के इरादे से मैदान में उतर चुकी है। इसी रणनीति के तहत पार्टी ने 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली, जिसकी अगुवाई राहुल गांधी ने की और उनके साथ मंच पर प्रियंका गांधी और तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे।
यात्रा की शुरुआत और समापन
यह यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई थी और 16 दिनों तक अलग-अलग जिलों से गुजरते हुए 1 सितंबर को पटना पहुंचकर खत्म हुई। कांग्रेस ने इसे "ऐतिहासिक राजनीतिक अभियान" करार दिया है और दावा किया है कि इस यात्रा ने राज्य में विपक्षी खेमे को नई ऊर्जा दी है।
महागठबंधन को मजबूती
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की साझा मौजूदगी ने महागठबंधन की एकजुटता का संदेश दिया है। यात्रा के दौरान जुटी भीड़ और जनता की सहभागिता से कांग्रेस खेमे का उत्साह साफ दिखाई दिया। हालांकि, एक अहम सवाल अभी भी अनसुलझा है कि आगामी चुनावों में महागठबंधन का चेहरा कौन होगा। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर अब तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।
तेजस्वी यादव का आक्रामक अंदाज
जैसे-जैसे चुनावी माहौल बन रहा है, तेजस्वी यादव का रुख भी और ज्यादा तीखा होता जा रहा है। रैलियों में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधे हमले किए और सवाल खड़ा किया कि जनता "असली मुख्यमंत्री चाहती है या नकली?" यह बयान इस ओर इशारा करता है कि विपक्ष अगले चुनाव में नीतीश सरकार के खिलाफ सीधी जंग लड़ने के मूड में है।
कांग्रेस बनाम बीजेपी: बढ़ती बयानबाज़ी
कांग्रेस ने इस यात्रा को बीजेपी के लिए चुनौती करार दिया है। राहुल गांधी का कहना था कि बिहार की जनता जिस समर्थन के साथ कांग्रेस के साथ खड़ी हो रही है, वह सत्तारूढ़ दल के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है। उनका आरोप है कि बीजेपी इस जनसमर्थन को पचा नहीं पा रही है और इसीलिए अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
_198248246_100x75.png)
_1722782038_100x75.png)
_112347108_100x75.png)
_1452953741_100x75.png)
_1552040195_100x75.png)