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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने 18 दिन की ऐतिहासिक यात्रा के बाद मंगलवार शाम 3:01 बजे (भारतीय समयानुसार) पृथ्वी पर सफल वापसी की। स्पेसएक्स के ड्रैगन यान ने कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में सुरक्षित 'स्प्लैशडाउन' किया। इस घटना ने फिर से यह बहस छेड़ दी है कि क्या अंतरिक्ष से लौटते समय समुद्र में उतरना ज़मीन पर लैंडिंग से अधिक सुरक्षित है। जबकि रूस, चीन और कुछ अन्य देश अभी भी जमीन पर उतरने को प्राथमिकता देते हैं। गौरतलब है कि भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने भी 1984 में ज़मीन पर ही वापसी की थी।
क्या समुद्र में उतरना ज्यादा सुरक्षित है?
पहली नजर में समुद्र की सतह लैंडिंग के लिहाज़ से अधिक कोमल और सुरक्षित लगती है। स्पेसएक्स और एक्सियोम-4 जैसे मिशनों ने सुरक्षा कारणों से स्प्लैशडाउन को चुना। स्पेसएक्स के यान का कुछ हिस्सा वापसी से पहले अलग हो जाता है — अगर यह जमीन पर गिरता है, तो संपत्ति या लोगों को नुकसान पहुंच सकता है, जबकि समुद्र में गिरने से यह खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, घंटों की अंतरिक्ष यात्रा के बाद थके हुए शरीर के लिए पानी पर उतरना अपेक्षाकृत आरामदायक होता है।
जमीन पर उतरने की चुनौतियां
हालांकि जमीन पर लैंडिंग की प्रक्रिया अधिक सटीक मानी जाती है और इसमें समुद्री रेस्क्यू ऑपरेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती, फिर भी यह प्रक्रिया कुछ जोखिमों से जुड़ी होती है। रूस का सोयूज़ यान और चीन की शेनझोउ मिशन वर्षों से जमीन पर ही लैंड करते आ रहे हैं। सोयूज़ आमतौर पर कज़ाखस्तान की सपाट भूमि पर और शेनझोउ इनर मंगोलिया में उतरता है।
भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा भी अप्रैल 1984 में इसी तरह ज़मीन पर उतरे थे। उन्होंने बाद में बताया कि उस अनुभव में काफी झटका महसूस हुआ था, और पैराशूट खुलने की तेज़ आवाज़ ने उन्हें डरा दिया था। लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने के बाद शरीर को झटका सहना मुश्किल हो सकता है।
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