img

Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास के अपने 20 साल के सफर को रेखांकित करते हुए गुरुवार को ‘बिहार का नवनिर्माण 20 साल विकास के बदलते बिहार के’ पुस्तक का लोकार्पण किया। यह पुस्तक उनके कार्यकाल में राज्य में हुए सामाजिक, आर्थिक और ढांचागत बदलावों का एक दस्तावेज मानी जा रही है।

कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी भी मौजूद रहे। पुस्तक लोकार्पण के जरिए जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने यह संकेत भी दे दिया कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में अपने ‘काम के रिकॉर्ड’ को ही सबसे बड़ा हथियार बनाएगी।

क्या है इस पुस्तक में

‘बिहार का नवनिर्माण’ पुस्तक में वर्ष 2005 से लेकर 2025 तक के 20 वर्षों की विकास यात्रा को अलग-अलग अध्यायों में बांटकर प्रस्तुत किया गया है। इसमें सड़कों के विस्तार से लेकर बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण तक के विषयों को आँकड़ों और तस्वीरों के साथ दिखाया गया है।

नीतीश कुमार ने कहा कि जब हमने कार्यभार संभाला था, बिहार में बिजली, सड़क, कानून-व्यवस्था की हालत बेहद खराब थी। आज राज्य की पहचान बदल चुकी है।

मुख्य उपलब्धियाँ जो पुस्तक में दर्शाई गईं

सड़क निर्माण में तेज़ी: 2005 में ग्रामीण सड़कों की लंबाई 35,000 किमी थी, जो अब 75,000 किमी से अधिक हो गई है।

बिजली आपूर्ति: 2005 में जहां बिजली की उपलब्धता 500 मेगावॉट से भी कम थी, वहीं आज यह 6,000 मेगावॉट पार कर गई है।

महिला सशक्तिकरण: पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50% आरक्षण, साइकिल योजना और स्वयं सहायता समूहों का गठन।

शिक्षा और स्वास्थ्य: सरकारी स्कूलों में नामांकन में बढ़ोतरी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डिलीवरी सेवाएं और मुफ्त दवाओं की व्यवस्था।

कानून-व्यवस्था में सुधार: विशेष न्यायालयों की स्थापना और अपराध नियंत्रण पर ज़ोर।

राजनीतिक संदेश साफ है

चुनाव से पहले यह दस्तावेज न सिर्फ नीतीश सरकार की विकास रिपोर्ट पेश करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गठबंधन किस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएगा। विपक्षी दलों द्वारा लगातार बेरोजगारी, पलायन और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया जा रहा है, ऐसे में नीतीश कुमार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि “काम बोलता है।”

विश्लेषकों का मानना है कि यह रिपोर्ट कार्ड चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है और इसका इस्तेमाल गांव-गांव तक पहुंचाने की तैयारी है। वहीं विपक्ष इसे सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की तैयारी में है।

--Advertisement--