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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में एक मामले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतर-धार्मिक संबंध या विवाह से जुड़े एक व्यक्ति को महत्वपूर्ण राहत दी है। यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति को कथित तौर पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। ऐसी खबरें थीं कि यह हिरासत महिला के परिवार की शिकायत पर हुई थी, क्योंकि महिला ने अपनी पसंद से दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी की थी।

इस मामले में, हिरासत में लिए गए व्यक्ति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वयस्क व्यक्तियों को अपनी पसंद से शादी करने या संबंध रखने का पूरा अधिकार है, और इसमें पुलिस या किसी तीसरे पक्ष (जैसे परिवार) का अनुचित हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को दोहराया कि किसी भी वयस्क व्यक्ति को उसके व्यक्तिगत संबंधों या विवाह के आधार पर अवैध रूप से हिरासत में नहीं लिया जा सकता। अदालत ने तत्काल प्रभाव से हिरासत में लिए गए व्यक्ति की रिहाई का आदेश दिया।

यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद के अधिकार के महत्व को रेखांकित करता है, खासकर अंतर-धार्मिक विवाहों या संबंधों के संदर्भ में, जिन्हें अक्सर सामाजिक और कभी-कभी कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम पुलिस और अन्य प्राधिकारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि उन्हें नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और निजी, सहमति वाले संबंधों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह फैसला भारत में अंतर-धार्मिक विवाहों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।

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