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Repo Rate: दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति दर चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गयी। मुद्रास्फीति आधारित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक नवंबर में 5.48 प्रतिशत और दिसंबर 2023 में 5.69 प्रतिशत था। खुदरा मुद्रास्फीति में कमी आने के कारण रिजर्व बैंक द्वारा फरवरी में अपनी मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर में कटौती की घोषणा किए जाने की संभावना है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति दर घटकर 8.39 प्रतिशत पर आ गई है। नवंबर में यह 9.04 प्रतिशत और दिसंबर 2023 में 9.53 प्रतिशत थी।

पिछले महीने रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 4.5 प्रतिशत से संशोधित कर 4.8 प्रतिशत कर दिया था। रिजर्व बैंक ने यह भी आशंका व्यक्त की थी कि खाद्य कीमतों पर दबाव के कारण अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में समग्र मुद्रास्फीति बढ़ेगी।

रॉयटर्स सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत की मुद्रास्फीति दर दिसंबर में घटकर 5.3 प्रतिशत हो सकती है। यद्यपि मुद्रास्फीति कुछ धीमी हुई है, परन्तु रॉयटर्स के एक अलग सर्वेक्षण में पाया गया कि मुद्रास्फीति, कम से कम 2026 की दूसरी छमाही तक, रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक आने की संभावना नहीं है।

आगे और गिरावट की संभावना

खाद्य पदार्थों की कीमतों ने कुछ महीनों तक मुद्रास्फीति को उच्च बनाये रखा था। इसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतें थीं। हालांकि, अनुकूल मानसून ने फसलों के लिए राहत प्रदान की है, जिससे आने वाले महीनों में इसमें और कमी आने की उम्मीद बढ़ गई है।

फरवरी में ब्याज दर में कटौती संभव

खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ रिजर्व बैंक फरवरी में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर में कटौती की घोषणा कर सकता है। रेपो दर में कटौती की मांग कई दिनों से की जा रही थी। हालाँकि, बढ़ती महंगाई के कारण इस निर्णय में देरी हुई है।

अब, ये अनुमान लगाया जा रहा है कि फरवरी में ऋण सस्ते हो जायेंगे। दास के स्थान पर संजय मल्होत्रा ​​को आरबीआई गवर्नर नियुक्त किए जाने से पहले, पिछले महीने रॉयटर्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने भविष्यवाणी की थी कि आरबीआई 5-7 फरवरी को अपनी नीति बैठक में प्रमुख ब्याज दर को 25 आधार अंकों की कटौती करके 6.25 प्रतिशत कर सकता है।

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