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21 जुलाई 2025 का दिन संसद और देश की राजनीति के लिए बेहद नाटकीय रहा। खबरें आईं कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को एक बड़े केंद्रीय मंत्री ने फोन करके कहा—"इस्तीफा दीजिए, नहीं तो आपके खिलाफ संसद में मोशन लाया जाएगा।" इस खबर ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी।

सूत्रों के मुताबिक, सुबह से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी तेज थी। इसी दौरान धनखड़ को एक ‘प्रभावशाली’ मंत्री का फोन आया, जिसमें उन्हें इस्तीफा देने का सुझाव दिया गया। कहा गया कि यदि वे पद नहीं छोड़ते, तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।

बताया जा रहा है कि उपराष्ट्रपति ने इस बात को बेहद गंभीरता से लिया और अपनी स्थिति को लेकर शीर्ष नेतृत्व से चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी दबाव में इस्तीफा नहीं देंगे और अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करते रहेंगे।

इस घटनाक्रम के बीच बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की भूमिका भी चर्चा में रही। उन्होंने स्थिति को संभालने के लिए कई वरिष्ठ नेताओं से बात की और मामले को शांत करने की कोशिश की। हालांकि, न तो बीजेपी और न ही उपराष्ट्रपति कार्यालय ने इस पर आधिकारिक बयान जारी किया है।

विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि यह लोकतंत्र की संस्थाओं पर सीधा हमला है। उधर, सत्तापक्ष का कहना है कि यह सब अफवाह है और विपक्ष अनावश्यक राजनीति कर रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखा दिया कि संसद के भीतर की राजनीति जितनी दिखाई देती है, उससे कहीं अधिक परदे के पीछे खेला जाता है।
 

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