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Up Kiran, Digital Desk: आधुनिक तकनीक की बढ़ती पहुंच के साथ साइबर ठगी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में आंध्र प्रदेश से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक रिटायर्ड प्रोफेसर को लगभग दो करोड़ रुपये की ठगी का सामना करना पड़ा। आइए जानते हैं कैसे यह मामला सामने आया और ठगों ने किस चालाकी से प्रोफेसर को फंसाया।
इस पूरी ठगी की शुरुआत एक व्हाट्सएप ग्रुप से हुई, जहां ग्रुप के एडमिन ने खुद को एक निवेश सलाहकार बताकर भरोसा जुटाया। प्रोफेसर, जो एक जानी-मानी कंपनी से जुड़ी बातों को जानते थे, इस झांसे में आ गए। इसके बाद एक महिला ने उनसे संपर्क किया और खुद को उस कंपनी की आधिकारिक प्रतिनिधि बताया। उसने प्रोफेसर को निवेश के लिए प्रेरित किया और कदम-कदम पर मार्गदर्शन दिया।
शुरुआत में प्रोफेसर ने 10 हजार रुपये की छोटी रकम निवेश की, जो कुछ समय बाद 13 हजार रुपये के रूप में वापस मिली। इस नकली मुनाफे को देखकर वे पूरी तरह विश्वास में आ गए और अगले पांच हफ्तों में करीब 1.9 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया।
मई के अंत तक प्रोफेसर को उनके फर्जी वॉलेट में 35 करोड़ रुपये का बैलेंस दिखने लगा, जिससे ठगी और भी गंभीर लगने लगी। जब प्रोफेसर ने अपने पैसे निकालने की कोशिश की, तो ठगों ने उनसे 32 लाख रुपये की मांग की, जो बाद में घटकर 7.9 लाख रुपये पर आ गई।
जैसे ही प्रोफेसर ने 7.9 लाख रुपये का भुगतान किया, उनका अकाउंट अचानक ब्लॉक हो गया। इस घटना के बाद उन्होंने एक और शख्स से संपर्क किया, जो खुद ठग निकला और उसने भी कुछ रकम की मांग की। तब जाकर प्रोफेसर को अपनी ठगी का एहसास हुआ और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
यह मामला हमें एक बार फिर से चेतावनी देता है कि ऑनलाइन निवेश के मामलों में सतर्कता बरतना कितनी जरूरी है। बिना पूरी जांच-पड़ताल के किसी भी वित्तीय लेन-देन में भाग लेना भारी पड़ सकता है। यदि आपको भी ऐसे किसी ऑनलाइन निवेश के प्रस्ताव मिलते हैं, तो सावधानी से काम लें और हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से ही सलाह लें।
सावधानी और जागरूकता ही साइबर ठगों से बचने की सबसे बड़ी चाबी है।
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