
Up Kiran, Digital Desk: उन बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए एक अच्छी खबर है जिनका पैसा सालों से अटके हुए रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में फंसा हुआ है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इन फंसी हुई परियोजनाओं से कर्ज की वसूली में 16% तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
यह अनुमान रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) की एक रिपोर्ट में लगाया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 से 2024 के बीच इन प्रोजेक्ट्स से कर्ज की वसूली दर केवल 11% थी, जो अब वित्तीय वर्ष 2025-26 में बढ़कर 16% हो जाएगी। इसका मतलब है कि बैंकों को अब अपना फंसा हुआ पैसा पहले से ज़्यादा मात्रा में वापस मिल सकेगा।
इस सुधार के पीछे कुछ बड़े कारण हैं:
घरों की बढ़ती मांग: लोग अब पहले से ज़्यादा घर खरीद रहे हैं, जिससे रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में डेवलपर्स की दिलचस्पी बढ़ी है।
प्रॉपर्टी की कीमतों में उछाल: प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ने से इन अटके हुए प्रोजेक्ट्स का मूल्य भी बढ़ गया है, जिससे इन्हें बेचकर कर्ज चुकाना आसान हो गया है।
बेहतर कानूनी ढांचा: रेरा (RERA) और दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) जैसे कानूनों के कारण अब ऐसे मामलों का निपटारा तेज़ी से हो रहा है।
दरअसल, कई बिल्डर वित्तीय संकट के कारण अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा नहीं कर पाए, जिससे घर खरीदारों के साथ-साथ बैंकों का पैसा भी फंस गया। लेकिन अब, घरों की बढ़ती मांग को देखते हुए दूसरे डेवलपर और निवेशक इन अटकी हुई परियोजनाओं को खरीदकर उन्हें पूरा कर रहे हैं।
देश में सबसे ज़्यादा अटके हुए प्रोजेक्ट्स मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) और दिल्ली-एनसीआर (NCR) में हैं। इस सुधार से न केवल बैंकिंग सेक्टर को राहत मिलेगी, बल्कि उन हजारों घर खरीदारों को भी उम्मीद की एक नई किरण दिखेगी जो सालों से अपने घर का इंतज़ार कर रहे हैं।
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