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उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों दोहरी मार झेल रही हैं। बीते एक महीने में जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों में औसतन 30 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे न केवल निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों की जेब पर असर पड़ा है, बल्कि सरकारी अस्पतालों के मरीज भी परेशान हैं क्योंकि उन्हें भी बाहर से महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।

इन दवाओं पर बढ़ोतरी

शुगर की दवाएं: 17-18% तक महंगी

सांस रोग की दवाएं: 22 से 112% तक का इजाफा

हृदय रोग की दवा: 18% तक महंगी

सर्दी-जुकाम की दवाएं: 30-40% तक वृद्धि

उदाहरण के तौर पर ग्लाइकोमेट जीपी2 पहले 152 रुपए में मिलती थी। अब ₹178 में बिक रही है। सिनारेस्ट जैसी आम सर्दी-जुकाम की दवा 90 रुपए से बढ़कर 118 रुपए हो गई है।

सरकारी अस्पतालों की भी हालत खस्ताहाल

हल्द्वानी स्थित एसटीएच (श्रीनगर मेडिकल कॉलेज) में हालात इतने खराब हैं कि ओपीडी और भर्ती मरीजों को आवश्यक दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने खुद स्वीकार किया है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर की दवा लिखने की शिकायतें मिली हैं। इसके चलते 11 अप्रैल को दोषी डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं।

राहुल बट बेस अस्पताल के तीनपानी केंद्र से डायलिसिस कराते हैं। उनका कहना हैं कि दवा महंगी होने से उनका मासिक इलाज खर्च 700 रुपए तक बढ़ गया है।

वहीं पार्षद व समाजसेवी प्रेम बेलवाल ने इल्जाम लगाया कि कई डॉक्टर कमीशन के लालच में मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। उन्होंने इस पर सख़्त कार्रवाई की मांग की है।

कैमिस्ट एसोसिएशन का बयान

हल्द्वानी कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल सिंह  ने बताया कि हृदय, शुगर और किडनी के मरीजों को रोज़ दवा लेनी पड़ती है। इनकी कीमतें बढ़ने से आम परिवारों का बजट बिगड़ रहा है।