img

Up Kiran, Digital Desk: आरजेडी की अधिकार यात्रा जैसे ही सारण के सोनपुर इलाके में पहुंची, माहौल पूरी तरह रोहिणी आचार्य के समर्थन में रंग गया। बजरंग चौक पर जुटी भीड़ ने जब "रोहिणी आचार्य जिंदाबाद" के नारे लगाने शुरू किए, तो यह साफ हो गया कि जनता के दिलों में उनके लिए कितनी गहरी जगह है।

हालांकि रोहिणी 2024 के लोकसभा चुनाव में सारण से हार चुकी हैं, लेकिन उनके समर्थकों का जोश अब भी कम नहीं हुआ है। यह समर्थन सिर्फ चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि उनके द्वारा परिवार और समाज के लिए किए गए त्याग से भी जुड़ा है।

बहन का योगदान सिर्फ पारिवारिक नहीं, पार्टी के लिए भी अहम: तेजस्वी

तेजस्वी यादव ने एक भावुक बयान में अपनी बहन रोहिणी आचार्य के उस निर्णय को याद किया, जब उन्होंने अपने पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को किडनी दान की थी। तेजस्वी ने कहा कि यह कदम किसी भी इंसान के लिए असाधारण है और यह त्याग सिर्फ पारिवारिक नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी प्रेरणादायक है।

तेजस्वी ने यह भी स्पष्ट किया कि छपरा से रोहिणी को टिकट देना कोई व्यक्तिगत फैसला नहीं था। यह निर्णय छपरा के नागरिकों की मांग और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की इच्छा के अनुसार लिया गया था।

पार्टी में सक्रिय भूमिका निभा रहीं रोहिणी

भले ही रोहिणी आचार्य फिलहाल किसी निर्वाचित पद पर न हों, लेकिन पार्टी को संगठित करने और जमीनी स्तर पर मजबूती देने में उनकी भूमिका लगातार बनी हुई है। तेजस्वी का कहना है कि रोहिणी की कार्यशैली और समर्पण से पार्टी को नई दिशा मिल रही है।