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helmet campaign: मोटरसाइकिल पर पीछे बैठने वाले लोगों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है यदि उनकी उम्र चार साल से अधिक है। यदि पीछे बैठे लोग हेलमेट नहीं पहनते हैं, तो उनके विरुद्ध चालान जारी किया जाएगा, चाहे आगे वाला हेलमट ही क्यों ना लगाए हो। इस दिशा में पुलिस और आरटीओ एक ज्वाइंट ऑपरेशन चलाने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि सड़क हादसों में बाइक सवारों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। SC की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के चेयरमैन जस्टिस एएम सप्रे ने परिवहन और पुलिस विभाग को सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

मीटिंग के दौरान अफसरों ने जस्टिस सप्रे को बताया कि "नो हेलमेट-नो फ्यूल" अभियान चलाया जा रहा है। इसी संदर्भ में सभी कार्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि जो कर्मचारी बिना हेलमेट ऑफिस आते हैं, उन्हें अनुपस्थित माना जाए।

वाहन चलाते वक्त इन बातों रखें ध्यान

पीछे बैठने वाले लोगों के लिए हेलमेट का उपयोग अनिवार्य होगा और हेलमेट आईएसआई मानक का होना चाहिए।
उल्लंघन करने वालों पर कोई राहत नहीं दी जाएगी, जबकि मोबाइल के उपयोग, नशे में गाड़ी चलाने और गलत दिशा में वाहन चलाने वालों के विरुद्ध भी सख्ती बरती जाएगी।
एनएचएआई की सभी जगहों पर वे-इन मोशन कैमरे स्थापित किए जाएंगे और इन्हें ई-चालान पोर्टल से जोड़ा जाएगा। 
सभी हाईवे पर स्पीड कैमरे और एएनपीआर कैमरे लगाए जाएंगे। 
सड़क निर्माण से जुड़े सभी विभाग ब्लैक स्पॉट क्षेत्रों की मरम्मत करेंगे।
पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को विश्वकर्मा ऐप से जोड़ा जाएगा ताकि ब्लैक स्पॉट की पहचान में तेजी लाई जा सके।
नियमित सड़क सुरक्षा ऑडिट के साथ रिपोर्ट के आधार पर सुधार सुनिश्चित किया जाएगा।
सड़क सुरक्षा के लिए इंटरसेप्टर और ब्रेथ एनालाइजर जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
ओवरस्पीडिंग रोकने के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस को धारणा से लागू किया जाएगा।
जिलों में यातायात थाने की स्थापना की जाएगी।
शैक्षणिक संस्थानों में सड़क सुरक्षा पर वाद-विवाद और चर्चाएं आयोजित की जाएंगी और रोड सेफ्टी क्लबों को सक्रिय किया जाएगा।
इन सभी प्रयासों का मकसद सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और सुरक्षा संबंधी जागरूकता बढ़ाना है।