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NISAR सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग: ISRO और NASA की साझेदारी से खुलेंगे नए वैज्ञानिक द्वार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के संयुक्त उपग्रह मिशन NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) की सफल लॉन्चिंग ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि जोड़ दी है। इस मिशन से पृथ्वी की सतह पर हो रहे बदलावों की निगरानी पहले से कहीं अधिक सटीकता से की जा सकेगी।

यह उपग्रह पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों, जलवायु परिवर्तन, हिमनदों के पिघलने, समुद्री स्तर में बढ़ोतरी और भूकंप जैसी आपदाओं के बारे में विस्तृत और समयबद्ध जानकारी उपलब्ध कराएगा। NISAR, जो एल-बैंड और एस-बैंड रडार तकनीक से लैस है, पृथ्वी के हर हिस्से की विस्तृत स्कैनिंग कर सकेगा।

इस मिशन की खास बात यह है कि यह दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए डेटा साझा करेगा, जिससे जलवायु विज्ञान, कृषि, वनों की कटाई और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी में काफी मदद मिलेगी।

इसरो के प्रमुख ने लॉन्चिंग के बाद कहा कि यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है। नासा के वैज्ञानिकों ने भी इसे भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया है।

इस उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। लॉन्चिंग के दौरान वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम मौजूद रही, जिन्होंने इस पल को ऐतिहासिक बताया।

NISAR मिशन को विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। यह उपग्रह अगले कुछ वर्षों में लाखों लोगों की ज़िंदगी पर सीधा असर डालेगा।

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