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Up Kiran, Digital Desk: मोहित सूरी की फिल्में अक्सर दिल छू लेने वाली रोमांटिक कहानियों और शानदार संगीत के लिए जानी जाती हैं। उनकी नई फिल्म 'सैयारा' से भी कुछ ऐसी ही उम्मीदें थीं, खासकर जब इसमें दो नए चेहरे - अहान पांडे और अनीत पड्डा - मुख्य भूमिका में हैं।

 फिल्म देखने के बाद लगता है कि जहां अहान और अनीत ने अपनी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय किया है और अपनी छाप छोड़ी है, वहीं मोहित सूरी की यह लव स्टोरी दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में उतनी कामयाब नहीं हो पाई।

क्या है खास फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी निस्संदेह इसके मुख्य कलाकार हैं। अहान पांडे, जो बॉलीवुड में अपना डेब्यू कर रहे हैं, में एक सहजता और स्क्रीन प्रेजेंस है। उन्होंने अपने किरदार को ईमानदारी से निभाया है और भविष्य के लिए एक promising शुरुआत दी है। अनीत पड्डा भी अपनी पहली फिल्म में प्रभावशाली दिखी हैं। उनकी मासूमियत और अभिनय दोनों ही दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब होते हैं। उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री भी ठीक-ठाक है, जो कुछ दृश्यों को बचा लेती है।

कहां चूकी फिल्म लेकिन जहां कहानी और स्क्रीनप्ले की बात आती है, 'सैयारा' लड़खड़ा जाती है। मोहित सूरी, जो भावनाओं को पर्दे पर उतारने में माहिर माने जाते हैं, इस बार अपनी ही शैली में कहीं चूक गए लगते हैं। कहानी में ताजगी का अभाव है और यह कई जगह अनुमानित लगती है। प्लॉट में गहराई कम है और भावनात्मक जुड़ाव भी उतना मजबूत नहीं बन पाता जितना एक प्रेम कहानी में होना चाहिए। फिल्म की गति धीमी है और कुछ सीक्वेंस गैरज़रूरी लगते हैं, जिससे दर्शक ऊब सकते हैं।

फिल्म का संगीत, जो मोहित सूरी की फिल्मों की पहचान रहा है, ठीक-ठाक है लेकिन यादगार नहीं। कुछ गाने अच्छे हैं, लेकिन वे फिल्म की कमजोर कहानी को सहारा नहीं दे पाते।

अंतिम फैसला: सैयारा' एक ऐसी फिल्म है जो अपने promising कलाकारों (अहान पांडे और अनीत पड्डा) के दम पर चलती है, लेकिन कमजोर पटकथा और साधारण निर्देशन के कारण अपनी छाप छोड़ने में विफल रहती है। अगर आप अहान और अनीत की परफॉरमेंस देखना चाहते हैं, तो एक बार देख सकते हैं, लेकिन मोहित सूरी की पिछली बेहतरीन लव स्टोरीज की उम्मीद लेकर न जाएं।

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