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Up Kiran, Digital Desk: एक समय था जब तेजस्वी यादव ने राजनीति में कदम रखते हुए जिस पहले व्यक्ति पर भरोसा जताया, वह थे संजय यादव। हरियाणा के एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले संजय, अब खुद राज्यसभा सांसद हैं। लेकिन समय का पहिया घूमा, और आज वही संजय यादव लालू परिवार में कलह का कारण बनते नजर आ रहे हैं।

2015 का बड़ा दांव

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 से ठीक पहले, संजय यादव ने लालू प्रसाद यादव को एक ऐसी जानकारी दी जिसने चुनावी समीकरण ही बदल दिए। उन्होंने बताया कि RSS प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण प्रणाली की समीक्षा की बात की है। यह बयान उस समय मीडिया में चर्चा का विषय नहीं बना था, लेकिन लालू ने इसे चुनावी हथियार बना लिया।

लालू ने इस मुद्दे को सीमांचल में जोरशोर से उठाया, जहां मतदान होना बाकी था। नतीजा? महागठबंधन ने 243 में से 178 सीटें जीत लीं और बीजेपी 91 से सिमटकर 53 पर आ गई।

पर्दे के पीछे से सत्ता तक

2013 से 2015 तक, संजय पर्दे के पीछे तेजस्वी की राजनीतिक ट्रेनिंग में जुटे रहे। उन्होंने तेजस्वी को समाजवादी विचारधारा पढ़ने के लिए कहा, पुराने नेताओं के वीडियो इंटरव्यू दिखाए और पहली राज्यव्यापी यात्रा की प्लानिंग की।

तेजस्वी के डिप्टी सीएम बनने के बाद, संजय का कद बढ़ता गया। वह RJD की रणनीति, मीडिया प्रबंधन और आंतरिक संवाद के मुख्य केंद्र बन गए।

झा-संजय की जोड़ी और RJD का उभार

2015 से 2022 तक, संजय यादव और मनोज झा की जोड़ी ने तेजस्वी यादव के लिए परफेक्ट बैलेंस बनाया। झा जहां पार्टी के विचारक थे, वहीं संजय जमीन से जुड़े रणनीतिकार। दोनों ही 2022 में नीतीश कुमार के साथ नई सरकार बनाने की बातचीत में शामिल रहे।

लेकिन अब माहौल बदल चुका है...

फरवरी 2024 में संजय को भी राज्यसभा भेजा गया। लेकिन इसके बाद से पार्टी के भीतर ही तनातनी शुरू हो गई। लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने X (ट्विटर) पर अप्रत्यक्ष रूप से संजय पर तंज कसते हुए पोस्ट की। फिर उन्होंने कई करीबी रिश्तों को अनफॉलो भी कर दिया, जिसमें तेजस्वी भी शामिल हैं।