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Up Kiran, Digital Desk: कबीर जयंती एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है जो 15वीं सदी के आदरणीय भारतीय रहस्यवादी कवि और संत, संत कबीर दास जी की जन्म वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वे भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख संत थे और अपने गहन दोहों तथा पदों के लिए जाने जाते हैं, जिन्होंने सामाजिक रूढ़ियों, जाति व्यवस्था और धार्मिक कट्टरता को चुनौती दी।

 उनकी शिक्षाओं में सार्वभौमिक प्रेम, समानता और धार्मिक सीमाओं से परे ईश्वर के प्रत्यक्ष अनुभव पर बल दिया गया।

हिंदू पंचांग के अनुसार, कबीर जयंती ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में, कबीर जयंती 21 जून को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 20 जून 2025 को सुबह 05:59 बजे होगा और इसका समापन 21 जून 2025 को सुबह 06:25 बजे होगा।

उनके दोहे, जिन्हें 'वाणियां' भी कहा जाता है, बीजक, साखी ग्रंथ, कबीर ग्रंथावली और अनुराग सागर जैसे प्रमुख ग्रंथों में संकलित हैं।

कबीर जयंती का महत्व:

विरासत का सम्मान: यह दिन संत कबीर दास जी और उनकी कालजयी शिक्षाओं को याद करने और उनका सम्मान करने का अवसर है।

सद्भाव और समानता को बढ़ावा देना: समानता और धार्मिक सद्भाव का कबीर जी का संदेश आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है।

रूढ़िवादिता को चुनौती: सामाजिक मानदंडों और धार्मिक प्रथाओं पर सवाल उठाने का उनका साहस आज भी प्रेरणा देता है।

सरल दर्शन: उनका सरल किंतु गहन दर्शन जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से जुड़ता है।

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