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Up Kiran, Digital Desk: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात करने आ सकते हैं। यह एमबीएस की अमेरिका की पहली यात्रा होगी, 2018 में इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद। उस घटना ने दुनिया भर में हलचल मचाई थी। अब सात साल बाद अमेरिका और सऊदी अरब दोनों भविष्य के निवेश और रणनीतिक सहयोग पर ध्यान दे रहे हैं।

प्रमुख फोकस: रक्षा और सुरक्षा
एमबीएस की शीर्ष प्राथमिकताओं में सुरक्षा गारंटी शामिल है। अमेरिका और सऊदी अरब लंबे समय से एक समझौते पर हैं: अमेरिकी सुरक्षा सहायता के बदले तेल कीमतों में स्थिरता। हाल ही में ईरान और इज़राइल के हमलों के बाद तनाव बढ़ गया है। उम्मीद है कि अमेरिका मिसाइल सुरक्षा, नौसैनिक इकाइयों की तैनाती और हथियारों की आपूर्ति जैसी मदद कर सकता है।

आर्थिक और टेक्नोलॉजी समझौते भी एजेंडे में
सऊदी अरब अपनी “विजन 2030” योजना के लिए अमेरिकी मदद चाहता है। इसमें आर्थिक विविधीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नागरिक परमाणु ऊर्जा शामिल हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता: अमेरिका और चीन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए सऊदी अरब वैश्विक एआई क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहता है।

नाभिकीय ऊर्जा: सऊदी अरब परमाणु सहयोग चाहता है, जिसमें यूरेनियम संवर्धन और ईंधन पुनर्प्रसंस्करण की छूट शामिल है।

दुर्लभ मृदा खनिज: चीन के प्रभुत्व के कारण, उच्च तकनीक उद्योगों के लिए अमेरिकी साझेदारी की उम्मीद है।

संभावित बड़े हथियार सौदे
डिस्कशन में लॉकहीड मार्टिन एफ-35 जैसे बड़े हथियारों की बिक्री भी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी शर्तें और लागत सऊदी अरब के निर्णय को प्रभावित कर सकती हैं।