img

Up Kiran, Digital Desk: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को जनता का स्पष्ट जनादेश मिला है, जिससे यह लगभग आठवीं बार सरकार बनाने की ओर अग्रसर है। चुनावी नतीजे एक बार फिर 2010 के विधानसभा चुनावों की याद दिलाते हैं, जहाँ गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की थी।

हालांकि, इस बार का समीकरण पिछले बार से थोड़ा अलग है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने इतिहास की सबसे शानदार परफॉर्मेंस देते हुए 89 सीटें जीती हैं, जो उसकी अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। इसी अप्रत्याशित मज़बूती के चलते, नई सरकार के गठन में बीजेपी का दबदबा पहले से कहीं ज़्यादा रहने वाला है।

सत्ता का बटवारा: कौन बनेगा मंत्री?

यह बात तय है कि अनुभवी नेता नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद संभालेंगे। इस पर गठबंधन में कोई विवाद नहीं है। असली चर्चा मंत्री परिषद् में पदों के बँटवारे को लेकर चल रही है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, मंत्री पद संख्या में बीजेपी इस बार जेडीयू से आगे निकल सकती है।

कहा जा रहा है कि बीजेपी के खेमे में 15 से 16 मंत्री पद जा सकते हैं, जबकि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को 14 या 15 पद मिलने की उम्मीद है। फिलहाल, दिल्ली से लेकर पटना तक गठबंधन के प्रमुख नेताओं के बीच बैठकों का लंबा सिलसिला जारी है।

दिल्ली में दौड़-भाग और छोटे सहयोगियों की भूमिका

गठबंधन के छोटे साथियों की सक्रियता भी बढ़ी हुई है। उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े जैसे वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। अटकलें तेज़ हैं कि मांझी के बेटे और उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है।

एनडीए खेमे के नेता साफ कर चुके हैं कि सरकार के गठन में क्षेत्रीय संतुलन, जातीय समीकरण और अनुभवी चेहरों को पूरा महत्व दिया जाएगा। सभी सहयोगी दलों की एक राय है: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे और उपमुख्यमंत्री का पद बीजेपी के खाते में रहेगा।