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Up Kiran, Digital Desk: वाशिंगटन से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए इस पर $100,000 की भारी फीस लगाने का फैसला किया है। इसके बाद टेक कंपनी अमेज़न ने अपने विदेशी कर्मचारियों को तत्काल अमेरिका लौटने का निर्देश दिया है।

रॉयटर्स द्वारा देखे गए एक आंतरिक नोट में अमेज़न ने साफ कहा कि H-1B और H-4 वीज़ा धारक 21 सितंबर की रात 12:00 बजे (EDT) से पहले अमेरिका लौट आएं। वहीं, जो कर्मचारी पहले से अमेरिका में मौजूद हैं, उन्हें देश में ही बने रहने की सख्त सलाह दी गई है।

ट्रंप के आदेश से क्यों मची अफरा-तफरी?

डोनाल्ड ट्रंप ने "गैर-आप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध" शीर्षक से एक नई राष्ट्रपति घोषणा जारी की है। इसके तहत अब H-1B वीज़ा आवेदनों पर सालाना $100,000 की फीस लगेगी। इस नीति का उद्देश्य उन आईटी कंपनियों पर शिकंजा कसना है जो कथित तौर पर अमेरिकी कामगारों को विस्थापित कर रही थीं।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि H-1B वीज़ा का उपयोग लंबे समय से गलत तरीके से किया जा रहा है। अब नियोक्ताओं को वीज़ा आवेदन के साथ भुगतान का सबूत देना अनिवार्य होगा, और इस नियम का पालन अमेरिका का विदेश विभाग और होमलैंड सिक्योरिटी विभाग करेंगे।

अमेज़न ने क्यों दी चेतावनी?

इस नई नीति के तहत संभावित जटिलताओं को देखते हुए अमेज़न ने तत्काल कदम उठाए हैं। कंपनी ने अपने विदेशी कर्मचारियों को आगाह किया कि यदि वे तय समय सीमा से पहले अमेरिका नहीं लौटते, तो उन्हें वीज़ा संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

कंपनी के अनुसार, “यदि आपके पास वैध H-1B स्थिति है और आप अमेरिका में हैं, तो वहीं रहें। जो कर्मचारी विदेश में हैं, वे 21 सितंबर से पहले लौट आएं, ताकि भविष्य की अनिश्चितताओं से बचा जा सके।”

कौन होंगे प्रभावित?

इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित वे पेशेवर होंगे जो टेक, आईटी और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में H-1B वीज़ा के जरिए काम कर रहे हैं। साथ ही, उनके परिवार के सदस्य, जो H-4 वीज़ा पर अमेरिका में रह रहे हैं, उन्हें भी यह फैसला प्रभावित करेगा।