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अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने वैश्विक बाजारों में जबरदस्त हलचल मचा दी है। अमेरिका द्वारा कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद चीन ने भी पलटवार करते हुए 10 अप्रैल से अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर 34 प्रतिशत टैक्स लगाने की घोषणा की है। इस कदम का असर भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा है। लगातार गिरावट के कारण निवेशकों का भरोसा डगमगाया है और खासकर म्यूचुअल फंड्स में SIP करने वालों के मन में अब यह सवाल उठ रहा है—क्या इस वक्त SIP रोक देना चाहिए?

क्या इस गिरावट के समय SIP बंद करना सही है?
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स इस सवाल का सीधा जवाब ‘नहीं’ में देते हैं। उनका कहना है कि बाजार की गिरावट के समय SIP जारी रखना न केवल समझदारी है, बल्कि यह आपके पोर्टफोलियो के लिए लाभदायक भी हो सकता है। जब बाजार गिरता है, तो कम दाम पर ज्यादा यूनिट मिलती हैं। यही यूनिट बाद में बाजार के रिकवर होने पर अच्छे रिटर्न देती हैं। इसलिए, इस समय SIP को बंद करने के बजाय, उसे नियमित रूप से जारी रखना दीर्घकालिक निवेश के दृष्टिकोण से बेहतर है।

लाभ कम कीमत पर यूनिट्स खरीदने का
SIP की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद करती है। बाजार गिरने पर जब आप समान राशि निवेश करते हैं, तो ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं। और जब बाजार चढ़ता है, तो पोर्टफोलियो की वैल्यू तेजी से बढ़ती है। यही कारण है कि इस समय SIP करना समझदारी का प्रतीक माना जा रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं।

कहां करें SIP? विशेषज्ञों की सलाह
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा माहौल को देखते हुए निवेशकों को हाइब्रिड फंड्स और लार्ज-कैप फंड्स को प्राथमिकता देनी चाहिए। ये फंड्स बाजार के उतार-चढ़ाव को काफी हद तक संतुलित रखते हैं। जो लोग सेक्टर-आधारित निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर के थीमैटिक फंड्स एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

धैर्य है सबसे बड़ा हथियार
फाइनेंशियल एडवाइज़र्स बार-बार इस बात पर जोर देते हैं कि बाजार में निवेश का सबसे महत्वपूर्ण तत्व ‘धैर्य’ है। इतिहास गवाह है कि हर बड़ी गिरावट के बाद बाजार ने खुद को संभाला है और लंबी अवधि में बेहतरीन रिटर्न दिए हैं। इसलिए इस गिरावट को घबराने का नहीं, बल्कि अवसर के रूप में देखने की जरूरत है।