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जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के कारण अलग-अलग प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। बीते काफी दशकों में साइंटिस्ट शोधों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में चेतावनी दी है। अब एक बार फिर 2050 तक दुनिया के 50 क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा की आशंका जताई गई है। इसमें भारत के 9 प्रदेश शामिल हैं।

आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी भी इस लिस्ट में शामिल है। यहां लोग पहले भी बारिश और लू का सामना कर चुके हैं। जलवायु परिवर्तन से खतरा और बढ़ गया है।

वर्ष 2050 तक दुनिया भर के कई देश प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आ जाएंगे। इसमें भारत के 9 राज्य शामिल हैं। महाराष्ट्र की राजधानी और हिंदुस्तान की आर्थिक राजधानी मुंबई सबसे ज्यादा संकट में है।

बिहार की राजधानी पटना समेत तमाम जिलों में पारा एकाएक चढ़ गया है. कई बार तेज बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बिहारसूद्या 2050 तक प्राकृतिक आपदाओं के चक्रव्यूह में फंसा रहेगा।

बीते वर्ष चक्रवात मांडू ने तमिलनाडु में व्यापक क्षति पहुंचाई थी। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। तमिलनाडु भी हर समय बाढ़ का अनुभव करता है। यह हिस्सा हमेशा रिस्क जोन में रहता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु को भी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ेगा।

पंजाब में भी सूखे या भारी बारिश ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है. पंजाब और हरियाणा में इस समय गर्मी बढ़ती जा रही है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब पर भी 205 तक जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है।

केरल अक्सर भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में आ जाता था, जिससे बड़ी संख्या में मौतें होती थीं। बेमौसम बारिश का खतरा दक्षिण और मध्य केरल में अधिक है। बीते वर्ष बारिश के कारण अचानक बाढ़ आ गई थी।

गुजरात भी जलवायु परिवर्तन से प्रभावित था। यहां दो वर्ष पहले से तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही थी। इस साल गुजरात के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश हुई। इस बारिश से किसानों की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। भारत के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित असम पर भी जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। असम में जलवायु परिवर्तन का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

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